खट्टर के हरियाणा में नहीं चल पायेंगी खाप नेताओं की दुकानें
फरीदाबाद (विवेक शुक्ला)। अपने तुगलकी फऱमानों के कारण खबरों में रहने वाले बहुत से खाप नेताओं की हरिय़ाणा विधानसभा चुनावों में मतदाताओं ने दूकान बंद करवा दी हैं। जी हां मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले मनोहर लाल खट्टर के राज में खाप नेताओं की दुकानें चल नहीं पायेंगी।
अगर खाप नेताओं के पतन की बात करें तो अपने को समाज का नुमांइदा बताने वाले कई खाप बुरी तरह से चुनाव हार गए। उदाहरण के रूप में कंडेला खाप के नेता टेक राम कंडेला जींद में धूल में मिल गए। वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े। टेक राम छठे स्थान पर रहे और अपनी जमानत गंवा बैठे। सर्व खाप महापंचायत के महिला विंग के प्रदेशाध्यक्ष डा़ संतोष दहिया बेरी विधानसभ क्षेत्र से इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ी लेकिन वह चौथे स्थान पर रहीं।
उधर, भाजपा ने सोनीपत जिले के बरोदा विधानसभा क्षेत्र से जहां जाटों के मलिक गोत्र की गठवाला खाप के प्रमुख बलजीत सिंह मलिक को तथा रोहतक जिले की महम सीट से अठगामा खाप के प्रमुख शमशेर सिंह खरकड़ा को मैदान में उतारा था। खरकड़ा जहां कांग्रेस के अपने प्रतिद्वंद्वी से हार गये वहीं मलिक की तो जमानत तक जब्त हो गई।
अब क्या करेंगे खाप नेता
जानकारों का कहना है कि राज्य के मतदाताओं ने खाप पंचायतों को साफ तौर पर नकार दिया है। इनका कहना है कि असुरक्षा की भावना के चलते कुछ नेता खाप नेताओं के आगे नतमस्तक होते हैं। इसके अलावा मीडिया का एक वर्ग भी खाप नेताओं के प्रभाव और लोकप्रियता का बखान करता है। लेकिन खाप नेता असल में कागजी शेर ही हैं।
कुछ धार्मिक नेताओं ने भी अपने अनुयायियों को किसी पार्टी अथवा प्रत्याशी विशेष के पक्ष में मतदान करने का निर्देश जारी कर राजनीतिक निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास किया। सिरसा में डेरा सच्चा सौदा ने अपने अनुयायियों काे भाजपा के पक्ष में मतदान करने को कहा। डेरा के इस निर्देश का भाजपा को सिरसा क्षेत्र में तो कोई फायदा नहीं हुआ।
डेरा के प्रमुख महंत सतीश दास ने महम सीट से इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन क्षेत्र में अनुयायियों की बड़ी संख्या के बावजूद वह तीसरे स्थान पर रहे। अब यह देखने वाली बात होगी खाप नेता किस तरह से राजनीति करते है आगे चलकर।