शहीद को केजरीवाल देते हैं एक करोड़, BJP सरकार ने दिए महज 10 लाख
भोपाल जेल में शहीद हुए हेड कॉन्स्टेबल को मध्य प्रदेश की जेल मंत्री ने 50 हजार के मुआवजे का ऐलान किया था। बाद में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसे बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया।
नई दिल्ली। भोपाल जेल से भागे सिमी आतंकियों को रोकने के दौरान हेड कॉन्स्टेबल रमाशंकर यादव शहीद हो गए। उनके परिवार को शिवराज सरकार की ओर से 10 लाख का मुआवजा दिया गया। जबकि दिल्ली की केजरीवाल सरकार शहीदों के परिजनों को एक करोड़ का मुआवजा देती है।
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आखिर शहीद के परिजनों को मिलने वाले मुआवजे में अंतर क्यों?
सवाल उठ रहे हैं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जब शहीद के परिजनों को एक करोड़ का मुआवजा देते हैं तो ऐसे में मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ने शहीद पुलिसकर्मी के घरवालों को महज 10 लाख का मुआवजा देने का ऐलान क्यों किया?
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शहीद हेड कॉन्स्टेबल के परिजनों को शिवराज सरकार ने दिया 10 लाख मुआवजा
सोमवार को भोपाल जेल में शहीद हुए हेड कॉन्स्टेबल रमाशंकर यादव को मध्य प्रदेश की जेल मंत्री ने केवल 50 हजार का ऐलान किया था। हालांकि बाद में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया।
आखिर शहीद के परिजनों को दिए जाने वाले मुआवजे में इतना अंतर क्यों? इस मामले को लेकर कुछ दिन पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा था। जिसमें उन्होंने मांग की थी कि शहीद के परिजनों को एक करोड़ का मुआवजा दिया जाना चाहिए।
केजरीवाल ने लिखी थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा था कि शहीदों के परिजनों को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि देने की नीति बनाई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने अपने यहां ये नीति बनाई है। जिसके तहत शहीद के परिजनों को एक करोड़ का मुआवजा दिया जाता है।
केजरीवाल की केंद्र सरकार से अपील
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इसी तर्ज पर केंद्र सरकार को भी नीति बनानी चाहिए और शहीद सैनिक के परिजनों को केंद्र सरकार की ओर से एक करोड़ रुपये की सहायता राशि दी जाए।
उन्होंने इस पत्र के जरिए शहीदों से जुड़े कई अहम मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में विचार करना चाहिए।
सिमी के 8 आतंकियों को रोकने के दौरान शहीद हुए रमाशंकर
बता दें कि भोपाल जेल में शहीद हुए 55 साल के रमाशंकर ने अपने साहस का परिचय देते हुए जेल से भाग रहे सिमी के 8 आतंकियों को रोकने की कोशिश की। इस कोशिश के दौरान आतंकियों ने थाली का चाकू बनाकर उन पर हमला किया।
दिसंबर में थी रमाशंकर की बेटी की शादी
बलिया जिले के हल्दी थाना क्षेत्र के राजपुर गांव के रहने वाले रमाशंकर अपने परिवार के साथ भोपाल में ही रहते थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटे और एक बेटी है। बेटी की शादी दिसंबर में होने वाली थी, लेकिन अब उसे टाल दिया गया है।