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'काशी का अस्सी' का रियेलिटी शो बना नमोमय बनारस

By Ajay
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[अजय मोहन] काशी में नरेंद्र मोदी के रोडशो में लाखों की भीड़ नजर आयी। चारों तरफ नमो-नमो के जयकारे और भाजपा के झंडे लहरा रहे थे। इस नजारे को देखने पर ऐसा लगा कि मानों इसकी भविष्यवाणी प्रसिद्ध लेखक काशीनाथ सिंह ने अपनी किताब 'काशी का अस्सी' में पहले ही कर दी थी। जी हां काशी का अस्सी में जिस तरह बनारस का वर्णन किया गया है वह पूरी तरह मोदी मय काशी में परिलक्ष‍ित हो रहा है। सामान्य भाषा में नमोमय बनारस इस किताब का रिएलिटी शो जैसा प्रतीत होता दिख रहा है।

काशी का अस्सी में लिखा है- अस्सी की सारी दुकाने बंद। ऐसे गाढ़े वक्त पर जबकि बड़े-बड़े नेता रण छोड़ चुके थे- गया सिंह ने माइक संभाला- दहाड़ने से पहले उन्होंने मंच को तीन तरफ से घेरे पचासों सिपाहियों समेत दरोगा शर्मा को देखा, "शर्मा जी! देख रहे हो मेरा सिर? खल्वाट? खोपड़ी पर एक भी बाल नहीं। तुम्हारे डंडे का वार इस पर भरपूर पड़ेगा! मारो, मार सको तो! लेकिन शर्मा तुम काशी की संस्कृति और परंपरा मिटाना चाहते हो? तुम्हारी हैसियत कि तुम हजारों-हजारों साल से चली आ रही काशी की संस्कृति और परंपरा मिटा दो?"

मोदीमय काशी- यहां पर अगर गया सिंह की जगह भाजपा को खड़ा कर दें और शर्मा की जगह जिला प्रशासन को तो आज का नजारा हू-ब-हू ऐसा ही है।

काशी का अस्सी- महान पर्व पर आयोजित होने वाला अकेला विश्वस्तर का सम्मेलन, जिसे देखने सुनने के लिये आने वाले देश-विदेश के लाखों लोग। वीडियो-कैमरे और टेपरिकॉर्डर के साथ पत्रकार। सड़कें और गलियां जाम। यातायात ठप, लंका से लेकर शिवाला तक कहीं भी तिल रखने की जगह नहीं। महीनों से अस्सी के इस दिन का बनारस की जनता इंतजार करती है।

मोदी मय काशी- इस सम्मेलन को अगर मोदी की जनसभाओं का नाम दे दें तो आज का नजारा ऐसा ही है, जिसका वर्णन पुस्तक में किया गया।

काशी का अस्सी- बाबा की धरती का यह चमत्कार 'अवसि देख‍िए देखन जोगू'। मानव शरीर का कोई अंग नहीं जो सक्रिय न हो। लिट्टे, खालिस्तान, उग्रवाद, राम जन्मभूमि-बाबरी मस्ज‍िद, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय कोई समस्या नहीं....

मोदीमय काशी- जी हां यह चमत्कार नरेंद्र मोदी का ही है, जिसने बनारस की जनता को ऐसे तमाम मुद्दों से कोसों दूर लाकर खड़ा कर दिया है। जनता अब इन सबसे ऊपर उठकर सोच रही है।

काशी का अस्सी- श्रीवास्तवजी अपने कांग्रेसी गुरु को देखते ही कहते हैं-

"तेरे हुस्न का हुक्का बुझ गया है,
एक हम हैं कि गुड़गुड़ाए जाते हैं!"

मोदीमय काशी- पुस्तक काशी का अस्सी की यह लाइन चुनाव 2014 के परिणाम की ओर इशारा कर रही है, जहां जतना यह बात राहुल गांधी से कह रही है और शायद 12 मई को वोट डालते वक्त काशी के लोगों के जहर में ये दो लाइनें जरूर गूंजेंगी।

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English summary
Book Kashi ka Assi reflecting as reality during Narendra Modi's Road Show for Lok Sabha Election 2014.
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