कानपुर रेल हादसा: बूढ़ी मां की छड़ी ने सात लोगों को दी नई जिंदगी
दुर्घटनाग्रस्त हुई इंदौर-पटना एक्सप्रेस में एक परिवार जो इस हादसे से इसलिए बच गया क्योंकि उनके साथ बूढ़ी मां भी थी।
बिहार। रविवार तड़के जब इंदौर-पटना एक्सप्रेस के पटरी से उतर जाने पर हर तरफ चीखें ही चीखें थी, तब एक परिवार ऐसा भी था, जो इस हादसे से इसलिए बच गया क्योंकि उनके साथ बूढ़ी मां भी थी।
रविवार को कानपुर के पुखरायां में हुए भयानक रेल हादसे ने 145 लोगों की जान ले ली, वहीं एक परिवार के कुछ ऐसे खुशनसीब भी थे, जो मौत को बिल्कुल नजदीक से देखकर लौट आए। ये हुआ घर की बुजुर्ग की छड़ी की वजह से।
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रविवार तड़के करीब 3:15 बजे हुए दुर्घटनाग्रस्त होने वाली इंदौर-पटना एक्सप्रेस में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के मनोज चौरसिया भी सफर कर रहे थे। मनोज के साथ उनका सात सदस्यों का परिवार भी था।
ट्रेन हादसे का शिकार हुई तो कोच संख्या बीएस-1 में सफर कर रहा मनोज का परिवार भी बुरी तरह से बोगी में फंस गया। बुरी तरह से फंसे परिवार को पलटी हुई बोगी से निकलने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। आखिर एक घंटे बाद बूढ़ी मां की छड़ी काम आई।
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मां की खड़ी से तोड़ा शीशा
बोगी में फसें मनोज ने पास में रखी अपनी माता जी की छड़ी से खिड़की का शीशा तोड़ने की कोशिश की और उनकी ये कोशिश कामयाब रही। छड़ी से शीशा तोड़ने के बाद एक घंटे से फंसा परिवार धीरे-धीरे बोगी से बाहर निकला।
जिस कोच में मनोज सफर कर रहे थे, वो काफी बुरी तरह से दुर्घटनाग्रस्त हुआ और उसमें कई यात्रियों की मौत हो गई। मनोज ने बताया कि कई बार तो लगा कि अब जिंदा बचने का कोई रास्ता नहीं है।
मनोज कहते हैं कि अगर मां की छड़ी अगर सही वक्त पर काम ना आती तो शायद उनका परिवार भी जिंदा ना होता। उन्होंने बताया कि इस हादसे के बाद उनकी मां और पत्नी बुरी तरह से घबराईं हुई हैं। वो कहते हैं कि जिस तरह का ये हादसा हुआ, वो किसी को भी कंपा सकता था, कानों में जैसे घायलों की चीख अभी भी है।
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आपको बतादें कि कानपुर के पास पुखरायां में रविवार की सुबह तकरीबन 3:15 बजे इंदौर-पटना एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी। इससे भंयकर दुर्घटना हो गई।
जिस समय ये दुर्घटना हुई, यात्री सो रहे थे। इस घटना के बाद बुरी तरह से चीख रहे लोगों की ही आवाजें थीं, हर तरफ हाहकार मच गया था। इस दुर्घटना को भारतीय रेल में हुए बड़े हादसों में एक कहा जा रहा है।
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