जेएनयू के वीसी ने विश्वविद्यालय में सेना के टैंक की मांग की
जेएनयू के वीसी ने केंद्रीय मंत्री से संस्थान के भीतर एक सेना के टैंक को रखने की मांग की, बोले इससे छात्रों के भीतर सेना के बलिदान की हमेशा याद आए
नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर एम जगदीश कुमार ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और जनरल वीके सिंह से अपील की है कि उन्हें एक भारतीय सेना का तोप दिलाया जाए, जिसे यूनिवर्सिटी के भीतर खड़ा किया जाए, ताकि इसे देखकर छात्रों को हमेशा इस बात की प्रेरणा मिलती रहे कि हमारे देश के लिए जवान कितना बलिदान करते हैं। सेना के टैंक के जरिए छात्रों के भीतर राष्टवाद की भावना को जगाने का विचार सबसे पहले 9 फरवरी 2016 को लाया गया था, जब संस्थान के भीतर कथित रूप से भारत विरोधी नारे लगे थे और कई छात्रों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ था और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
सेना का टैंक छात्रों को सेना के बलिदान की याद दिलाएगा
जेएनयू के वीसी ने कारगिल विजय दिवस के मौके पर संस्थान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए कहा कि इस दिन को याद करना हमारे लिए बेहद खास है। आज के दिन हमारे देश के जवानों ने देश की सीमा और देश को सुरक्षित रखने के अपने प्राण को न्योछावर कर दिया। हम जनरल वीके सिंह और प्रधान जी से अपील करते हैं कि वह जेएनयू में एक टैंक रखवाएं। संस्थान के भीतर सेना का टैंक हजारों छात्रों को हमेशा देश की सेना के साहस और बलिदान की याद दिलाएगा।
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निकाला गया तिरंगा मार्च
इस कार्यक्रम में जनरल वीके सिंह, आनंद प्रधान के अलावा क्रिकेटर गौतम गंभीर, मेजर जनरल रिटायर्ड जीडी बक्शी और लेखक राजीव मल्होत्रा भी शामिल थे। इस कार्यक्रम की शुरुआत कंवेशन सेंटर से एक तिरंगा मार्च के साथ शुरू हुई, इस दौरान 2200 फीट के तिरंगे के साथ लोगों ने मार्च किया।
सेना के जवान हैं सच्चे हीरो
इस मौके पर बोलते हुए गौतम गंभीर ने कहा कि देश के तिरंग के सम्मान से किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहिए और सेना को किसी भी स्तर तक फैसला लेने का अधिकार होना चाहिए। जो लोग सीमा पर खड़े हैं, वह हमारे सच्चे हीरो हैं नाकि क्रिकेटर, बॉलिवुड स्टार। उन्होंने कहा कि आज मैं जेएनयू में हूं और मुझे वह सब याद आता है जब यहां अभियव्यक्ति की आजादी की काफी चर्चा हो रही थी।
तिरंगे के सम्मान से समझौता नहीं
गंभीर ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी जरूरी है, लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जिनसे समझौता नहीं किया जा सकता है, जिसमें से एक है तिरंगे का सम्मान। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे लोग हैं जो एसी कमरों में बैठे रहते हैं, उन्हें कभी सेना के बारे में बात नहीं करना चाहिए। जो लोग विषय परिस्थितियों में सीमा पर लड़ते हैं और जान को दांव पर लगाते हैं, उन्हें सभी कड़े फैसले लेने का अधिकार दिया जाना चाहिए।
भारत में होता है सेना का अपमान
वहीं इस मौके पर बोलते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि किसी भी अन्य देश में सेना का इस तरह से अपमान नहीं किया जाता है, जिस तरह से भारत में सेना का अपमान किया जाता है। उन्होंने कहा कि जेएनयू हमेशा ही सुर्खियों में रहता है, लेकिन मैं खुश हूं कि नए वीसी के नेतृत्व में स्थिति बेहतर है, एक बार फिर से यहां भारत माता की जय के नारे के साथ तिरंगा यात्रा निकली।