जाटलैंड में पहली बार बना पंजाबी मुख्यमंत्री
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) हरिय़ाणा 1966 में देश के नक्शे में आया था और उसके बाद मनोहर लाल खट्टर के रूप में पहली बार कोई पंजाबी प्रदेश का मुख्यमंत्री होगा।
हरिय़ाणा में आमतौर पर जाट ही मुख्यमंत्री रहे। जैसे देवीलाल,बंसीलाल, भूपेन्द्र सिंह हुड्डा वगैरह। भजनलाल बिश्नोई समाज से थे। इस लिहाज से खट्टर का मुख्यमंत्री बनना अहम है। हरिय़ाणा के शहरों में पंजाबी बिरादरी बेहद मजबूत है।
जाटलैंड का पंजाबी
खट्टर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे हैं। वे करनाल सीट से विधायक बने। करनाल हरिय़ाणा के पंजाबियों का गढ़ है। वे पिछले 40 साल से आरएसएस के प्रचारक और पिछले 20 साल से भाजपा के सक्रिय सदस्य रहे हैं। खट्टर चुनावी राजनीति में नया चेहरा हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में चुनावी अभियान की शुरूआत यहीं से की थी। खट्टर के दौड़ में आगे होने की चर्चा है। पहली बार विधायक बने खट्टर के पास प्रशासनिक अनुभव नहीं है लेकिन वह पिछले 40 साल से आरएसएस से जुड़े हुए हैं।
बीजेपी
का
साहसिक
कदम
खट्टर
को
मुख्य़मंत्री
बनाकर
भाजपा
ने
सच
में
बहुत
ही
बोल्ड
फैसला
लिया
है।
इससे
पंजाबी
समुदाय
तो
उससे
जुड़ेगा।
खट्टर
के
अलावा
अंबाला
कैंट
से
पांच
बार
के
विधायक
अनिल
विज
और
राव
इंद्रजीत
सिंह
का
नाम
भी
मुख्यमंत्री
के
पद
के
लिए
जा
रहा
था।
इंद्रजीत सिंह लोकसभा चुनावों के पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। इनके अलावा महेंद्रगढ जिले के राम बिलास शर्मा भी मुख्यमंत्री की दौड़ में थे। वे ब्राह्मण हैं। बहरहाल, जानकारों का कहना है कि शर्मा को कैबिनेट में जगह मिल जाएगी।