पश्चिम बंगाल में आतंक फैलाने में प्रयोग हुआ सारदा घोटाले का पैसा!
कोलकाता। इस्लामी बैंक बांग्लादेश लिमिटेड या फिर आईबीबीएल, वह नाम जिसके नाम पर खतरनाक इतिहास दर्ज है और जिसे बतौर बैंक दुनिया की कई एजेंसियों ने रेड लिस्ट किया हुआ है।
बांग्लादेश
से
मांगी
रिपोर्ट
इस
बैंक
का
जिक्र
हम
यहां
पर
इसलिए
कर
रहे
हैं
क्योंकि
अब
भारत
ने
बांग्लादेश
से
एक
ऐसी
रिपोर्ट
की
मांग
है
जिसके
जरिए
यह
पता
लगाया
जा
सके
कि
पश्चिम
बंगाल
में
दो
वर्ष
पहले
सारदा
घोटाले
में
हड़पा
गया
पैसा
क्या
इस
बैंक
में
भी
जमा
किया
गया
था।
वहीं अब इससे जुड़ी जांच एक रोचक मोड़ की ओर जाती नजर आ रही है। भारतीय एजेंसियों को इस बात पर शक है कि जमात-ए-इस्लामी ने सारादा की ओर से फंड इकट्ठा किया और फिर इसे आईबीबीएल में जमा कराया। उसने कुछ पैसा सऊदी अरब और मैक्सिको में भी जमा कराया।
एक और बैंक पर शक
जांच में एक और बैंक पर भी नजर रखी जा रही है। इस बैंक का नाम है सोशल इस्लामी बैंक जो कि सीधे तौर पर सऊदी अरब के बैंकों से जुड़ा हुआ है। एजेंसियों को इस बात पर शक है कि इस माध्यम से सारदा घोटाले के पैसे को बाहर ले जाया गया है।
इंटेलीजेंस ब्यूरो यानी आईबी के मुताबिक यह बैंक सीधे तौर पर जमात-ए-इस्लामी से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। जमात-ए-इस्लामी पर तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद अहमद हसन इमरान की ओर से सारदा घोटाले के पैसे को जमा कराने का आरोप है।
इस बैंक पर पूर्व में भी कई तरह से बड़ी राशि को आतंक के लिए भेजने का आरोप लग चुका है। इस बात के भी सुबूत मिले हैं कि इस बैंक की ओर से नकली करेंसी को भी वितरित किया गया है।
आतंकियों का मददगार बैंक
लिम्बिनी गारमेंट कंपनी का केस इसी तरह का केस है जो आंख खोलने के लिए काफी है। इस केस में हजार रुपए के कई नोटों को बैंक निकाला गया था और इनमें से कई नोट नकली थे। आईबी के मुताबिक यह बैंक जमात-ए-इस्लामी के लिए फंड को अपने यहां जमा कराने में कई तरह की सहूलियतें मुहैया कराता है।
भारतीय एजेंसियों की ओर से की जा रही जांच में जो इनपुट मिले हैं उनमें यह बात साफ होती है कि आईबीबीएल में जमा पैसे को देश से बाहर ले जाया गया और इसे सऊदी अरब के एक और बैंक में जमा कराया गया है।
बांग्लादेश की ओर से भारत को मुहैया कराई जाने वाली जानकारी से यह साफ हो सकेगा कि क्या सारदा घोटाले के पैसे को सऊदी अरब के अल राजही बैंक में भी जमा कराया गया है क्या?
इस तरह के बैंकों की मॉड्से ऑपरेंडी को कई एजेंसियों की ओर से सामने लाया जा चुका है। बैंक में हुंडी के जरिए लश्कर-ए-तैयबा और जमात-ए-इस्लामी राहत कार्यो के लिए इकट्ठा हुई रकम पहले इन्हीं बैंकों में जमा करते हैं।
सारदा
घोटाला
और
बर्दवान
ब्लास्ट
फिर कुछ समय के बाद इस रकम को एक मीडिल मैन के जरिए आतंकी संगठनों को ट्रांसफर कर दिया जाता है। बांग्लादेश की ओर से भारत को मुहैया कराई जाने वाली रिपोर्ट के बाद भारत को न सिर्फ सारदा घोटाले में अहम सुराग हासिल हो सकेंगे बल्कि इस बात का पता भी लग पाएगा कि क्या इस रकम को बर्दवान में हुए ब्लास्ट में भी प्रयुक्त किया गया था।
जमात-उल-बांग्लादेश, जमात-ए-इस्लामी पर संसाधनों के अलावा आर्थिक मदद के लिए बहुत हद तक निर्भर करता है। ऐसे में भारतीय एजेंसियों को शक है कि पैसे को इस मकसद के लिए भी प्रयोग किया गया था क्या।
यह दोनों ही संगठन एक ही मकसद के लिए काम करते हैं और वह है बांग्लादेश की आवामी लीग को बाहर उखाड़ फेंकना। ऐसे में हो सकता है कि सभी घटनाक्रम आपस में एक साथ जुड़े हों।