पाकिस्तान और चीन की वजह से टूटेगी भारत और रूस की दोस्ती!
चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर की वजह से खत्म हो सकती है रूस और भारत की दोस्ती। पाकिस्तान ने रूस को दे दी है सीपीईसी के तहत ग्वादर बंदरगाह का प्रयोग करने की अनुमति।
नई दिल्ली। भारत की पाकिस्तान को पूरी दुनिया में अलग-थलग करने की ठान ली है तो वहीं चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के साथ उसकी इस मुहिम को तगड़ा झटका लग सकता है। खबरें हैं कि पाक ने रूस को सीपीईसी के तहत ग्वादर पोर्ट के प्रयोग की मंजूरी दे दी है। यहां से पाक और रूस के रिश्तों में एक नई शुरुआत हो सकती है।
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रूस बनना चाहता है सीपीईसी का हिस्सा
रूस ने सीपीईसी का हिस्सा बनने की भी इच्छा पाकिस्तान से जताई है। रूस से पहले ईरान और तुर्केमेनिस्तान भी ऐसी ही इच्छा जता चुके हैं।
पाक के न्यूज चैनल जियो न्यूज की ओर से बताया गया है कि रूस, ईरान और तुर्केमेनिस्तान ग्वादर पोर्ट को आधिकारिक तौर पर प्रयोग करना चाहते हैं।
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रूस करेगा ग्वादर पोर्ट का प्रयोग
रूस ने सीपीईसी के साथ आकर ज्यादा से ज्यादा फायदा कमाने की कोशिशों में लगा है। इसके साथ ही रूस ने पाकिस्तान के साथ रक्षा और रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने की भी मंशा जाहिर की है।
पाक ने रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने की कोशिशों के तहत रूस को ग्वादर पोर्ट के प्रयोग की मंजूरी दी है।
दुश्मन बन रहे हैं दोस्त
रूस और पाकिस्तान दोनों ही शीत युद्ध काल से दुश्मन की तरह रहे हैं लेकिन पिछले दो वर्षों से दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी बेहतर हुए हैं।
दोनों देशों ने कुछ रक्षा सौदे किए तो दोनों देशों के बीच ज्चाइंट एक्सरसाइज भी हुई। रूस अब पाकिस्तान की मदद से चीन के करीब होना चाहता है जो पाक का पुराना साथी है।
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भारत सीपीईसी का विरोधी
भारत और पाकिस्तान दोनों पुराने दुश्मन हैं और भारत, इस्लामाबाद से रूस की करीबी को देखकर परेशान हो सकता है।
रूस भी इस बात से भली-भांति वाकिफ है कि भारत सीपीईसी का विरोध कर रहा है। ऐसे में रूस का सीपीईसी से जुड़ना दोनों देशों के बीच दोस्ती का 'द एंड' हो सकता है।
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चीन, पाक और रूस होंगे साथ
भारत को सीपीईसी से कई तरह की समस्याएं हैं और कई बार भारत अपनी समस्याओं के बारे में बता चुका है। जो बात भारत को सबसे ज्यादा नागवार गुजरी है वह है इस कॉरिडोर का कश्मीर के विवादित हिस्सों से होकर गुजरना।
सीपीईसी में शामिल होकर रूस और भारत के बीच रिश्ते बिगड़ सकते हैं। हो सकता है यहां से रूस, पाकिस्तान और चीन के बीच एक नए औपचारिक संगठन की शुरुआत हो जाए।