हो सकता है जम्मू कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी का 'ब्रेकअप' ये रहीं 11 वजहें!
29 और 30 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के दौरे पर होंगे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह तो रविवार को राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती दिल्ली में कर सकती हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात।
नई दिल्ली। जुलाई 2016 से जम्मू कश्मीर के बिगड़े हुए हालात सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे बल्कि दिन पर दिन और बदतर होते जा रहे हैं। इस बीच बीजेपी के जनरल सेक्रेटरी राम माधव ने जब जीप पर बंधे युवक वाले मुद्दे पर सेना का बचाव किया, तो राज्य सरकार के बीच के मतभेद और गहरे हो गए। अब माना जा रहा है राज्य की गठबंधन सरकार मुश्किल में है और जल्द ही हो सकता है दोनों अपने 'ब्रेकअप' का ऐलान कर दें।
क्या कहा राम माधव ने
बीजेपी के जनरल सेक्रेटरी राम माधव ने शुक्रवार को सेना और उस मेजर का बचाव किया है जिसने सेना की जीप पर 25 वर्ष के फारूक अहमद डार को बांधने का फैसला किया था। माधव ने कहा था, 'मैं उस मेजर की सराहना करता हूं जिसने स्थिति को बिगड़ने नहीं दिया। प्यार और जंग में सब जायज है।' आपको बता दें कि राम माधव को राज्य की बीजेपी-पीडीपी सरकार का 'आर्किटेक्ट' कहा जाता है और अब उनके इस बयान ने पीडीपी के खेमे में हलचल मचा दी है।
राज्य के शिक्षा मंत्री भड़के माधव पर
माधव का यह कहना था कि जम्मू कश्मीर के शिक्ष मंत्री सैयद अल्ताफ बुखारी भड़क गए। बुखारी ने कहा है, 'तो यह क्या कोई जंग है जो उन कश्मीरियों के खिलाफ छेड़ दी गई है जिन्होंने तमाम मुश्किलों के बावजूद लोकतंत्र में भरोसा जताया और अपना वोट दिया था। या फिर यह एक ऐसी जंग है जिसे देश में सिर्फ एक राजनीतिक पार्टी के 'आशावादी' चुनावी हितों को संतुष्ट करने के लिए लड़ी जा रही है।'
माधव के बयान के बाद पार्टियों में तनाव
राम माधव के बयान के बाद पीडीपी और बीजेपी दोनों ही पार्टियों में नाराजगी आसानी से देखी जा सकती है। बुखारी का कहना है कि कोई इस बात को नहीं समझ सकता है कि आखिर किसके खिलाफ माधव ने जंग का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान सिर्फ देश में अति-राष्ट्रवाद के माहौल को बढ़ावा देते हैं।
तो क्या एंटी-नेशनल और दुश्मन हैं कश्मीरी
बुखारी ने बीजेपी से सवाल किया है कि अगर कश्मीरियों को 'दुश्मन और राष्ट्र-विरोधी समझा जा रहा है तो फिर क्यों बीजेपी ने उस सिद्धांत पर हामी भरी थी जिसमें राज्य के सभी तत्वों से बात करने का एजेंडा था, जिसमें भारत-पाकिस्तान के बीच अच्छे संबंधों की बात थी, जिसमें राज्य में धारा 370 का वर्तमान स्वरूप बरकरार रखने, अफस्पा को हटाने, एलओसी पर नए रास्तों को खोलना और शरणार्थियों के पुर्नस्थापना जैसी अहम बातें शामिल थीं।
बीच में आए अलगाववादी भी
राम माधव के बयान के बाद बीजेपी-पीडीपी के बीच छिड़ी जंग में अलगाववादी नेता भी कूद पड़े हैं। अलगाववादी नेताओं ने माधव की तुलना 'हिटलर और मुसोलिनी' कर डाली है। जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के यासीन मलिक ने कहा है कि माधव का बयान यह बताने के लिए काफी है कि बीजेपी के लिए हत्या और कश्मीर को डराकर रखना एकदम सही चीजें हैं।
दोनों पार्टियों की मीटिंग
दोनों पार्टियों ने अपने-अपने मतभेदों को दूर करने के लिए शुक्रवार को राम माधव ने पीडीपी के हसीब द्राबू से भी मुलाकात की। इस मीटिंग में घाटी में जारी अशांति पर चर्चा हुई। साथ ही दारबू ने माधव से इस बात पर भी चर्चा की जब दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर समझौता हो चुका है तो फिर एमएलसी की एक सीट बीजेपी को क्यों दी गई। आपको बता दें कि छह एमएलसी सीट में से बीजेपी ने तीन सीटें जीती हैं, पीडीपी, कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के हिस्से एक-एक सीट आई है।
फिर हुई राज्यपाल से मुलाकात
माधव के साथ मुलाकात में द्राबू ने बीजेपी नेता चंद्र प्रकाश गंगा के उस बयान की आलोचना की जिसमें उन्होंने पत्थरबाजों को गोली से जवाब देने की बात कही थी। इसके बाद माधव ने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल केएन वोहरा से मुलाकात की। इस मुलाकात में माधव ने कई मुद्दों पर चर्चा की जिसमें घाटी के माहौल पर चर्चा सबसे अहम थी। मीटिंग के दौरान इस बात पर चर्चा हुई है कि कश्मीर में जारी तनावपूर्ण हालातों को कैसे काबू में किया जाए। दोनों ने इस समस्या का एक स्थायी समाधान तलाशने पर जोर दिया है।
महबूबा मुफ्ती से 'नाखुश' बीजेपी
सूत्रों की ओर से जानकारी आई है उसमें यह बात साफ हुई है कि बीजेपी आलाकमान राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के काम करने के तरीकों से खुश नहीं है। वहीं जम्मू में बीजेपी के कई नेता मानते हैं कि महबूबा और उनकी सरकार न्यूनतम साझा सरकार एजेंडे पर काम नहीं कर रहर है। हाल ही में जब भुवनेश्वर में बीजेपी कार्यकारिणी की मीटिंग हुई तो उसमें भी इस पर फैसला हुआ था।
शाह जाएंगे जम्मू कश्मीर, महबूबा आएंगी दिल्ली
बिगड़ते हालातों के बीच ही पार्टी अध्यक्ष अमित शाह 29 और 30 अप्रैल को राज्य के दौरे पर जाएंगे। कहा जा रहा है इस दौरान महबूबा सरकार के भविष्य का फैसला हो सकता है। रविवार को नीति आयोग की मीटिंग है जिसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों के साथ शिरकत करेंगे। कहा जा रहा है कि इस मीटिंग से अलग महबूबा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर सकती हैं।
पूरी तरह से नाकाम महबूबा सरकार
पिछले वर्ष जुलाई में जब हिजबुल मुजाहिद्दीन कमांडर बुरहान वानी एक एनकाउंटर में मारा गया तो घाटी सुलग उठी। उसके बाद से लेकर अब तक घाटी के हालातों को कैसे काबू किया जाए किसी को समझ नहीं आ रहा है। साउथ कश्मीर के अलावा अब हिंसा की आग घाटी के बाकी हिस्सों की ओर बढ़ रही है। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले नौ महीनों में 250 से ज्यादा नौजवानों से हथियार उठाए हैं।
सेना और सुरक्षाबल भी महबूबा से निराश
सेना के अधिकारियों की मानें तो कानून व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है। पत्थरबाजी करने वालों को राज्य सरकार माफ कर देती है और उनके खिलाफ कोई भी बड़ा कदम नहीं उठाया जाता है। ऐसे में इन युवाओं को और प्रोत्साहन मिलता है और फिर से सड़कों पर वापस आ जाते हैं।