केजरीवाल के ट्वीट से उठे उनकी अवसरवादी राजनीति पर सवाल
अरविंद केजरीवाल के एक ट्वीट ने उनकी राजनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या वे अवसरवादी राजनीति कर रहे हैं?
नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र की मोदी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। दिल्ली में काम न करने देने से लेकर 'सैनिकों के हितों' के मुद्दे पर भी केजरीवाल ने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया। लेकिन गुरुवार को उनके एक ट्वीट ने उनकी राजनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या वे अवसरवादी राजनीति कर रहे हैं?
वन रैंक वन पेंशन (OROP) से जुड़ी मांग को लेकर जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैनिक रामकिशन ग्रेवाल की आत्महत्या के बाद केजरीवाल ने मोदी सरकार को सैनिकों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। केजरीवाल ने कहा कि मोदी सरकार सैनिकों को नजरअंदाज कर रही है और उनको मिलने वाली सुविधाओं में कटौती कर रही है। दिल्ली के सीएम ने यह भी कहा कि इस घटना से प्रधानमंत्री मोदी के फर्जी राष्ट्रवाद की पोल खुल गई। उन्होंने नरेंद्र मोदी को सैनिक विरोधी करार देते हुए ट्वीट भी किया।
नरेंद्र मोदी
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) November 2, 2016
सैनिक विरोधी
पढ़ें: नियम तोड़ने के चलते 24 घंटे के लिए हिंदी न्यूज चैनल पर बैन लगाने का आदेश
केजरीवाल
बोले-
सभी
चैनल
मोदीजी
की
आरती
उतारें
गुरुवार
को
केंद्रीय
सूचना
प्रसारण
मंत्रालय
ने
पठानकोट
हमले
के
दौरान
रिपोर्टिंग
में
नियमों
का
उल्लंघन
करने
पर
न्यूज
चैनल
एनडीटीवी
इंडिया
पर
24
घंटे
के
लिए
प्रतिबंध
लगाने
का
आदेश
जारी
किया।
प्रतिबंध
की
खबर
सामने
आने
पर
केजरीवाल
ने
ट्वीट
करके
इसके
लिए
भी
प्रधानमंत्री
को
दोषी
ठहराया
और
कहा,
'सुन
लो
सारे
चैनल
वालों।
अगर
मोदी
जी
की
आरती
नहीं
उतारी
तो
आपका
चैनल
भी
बंद
कर
देंगे।'
सुन लो सारे चैनल वालों। अगर मोदी जी की आरती नहीं उतारी तो आपका चैनल भी बंद कर देंगे। https://t.co/IWqyaNSvFX
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) November 3, 2016
चैनल
ने
खुफिया
जानकारी
सार्वजनिक
की
केजरीवाल
के
इस
ट्वीट
के
बाद
सवाल
उठता
है
कि
क्या
वह
वाकई
सैनिकों
का
हित
चाहते
हैं?
न्यूज
चैनल
पर
की
गई
कार्रवाई
कहीं
न
कहीं
राष्ट्रीय
सुरक्षा
को
लेकर
ही
है।
आतंकी
हमले
के
दौरान
पठानकोट
एयरबेस
से
जुड़ी
खुफिया
जानकारी
को
सार्वजनिक
करके
न्यूज
चैनल
ने
न
सिर्फ
एयरबेस
और
वहां
मौजूद
जवानों
की
सुरक्षा
को
खतरा
पहुंचाया
बल्कि
आस-पास
के
इलाकों
में
रह
रहे
लोगों
के
लिए
भी
यह
जानकारी
मुसीबत
बन
सकती
थी।
जानकारी
का
इस्तेमाल
कर
सकते
थे
हैंडलर
आतंकी
हमले
की
रिपोर्टिंग
के
दौरान
एयरबेस
की
खुफिया
जानकारी
का
इस्तेमाल
आतंकियों
को
निर्देश
दे
रहे
हैंडलर
भी
कर
सकते
थे
और
उससे
काफी
ज्यादा
नुकसान
हो
सकता
था।
चैनल
पर
प्रतिबंध
का
आदेश
जारी
होने
से
पहले
मामले
की
जांच
कर
रही
कमेटी
ने
भी
यही
सवाल
उठाए
थे।
हमले
में
सुरक्षाबलों
के
सात
जवान
शहीद
हुए
थे,
जबकि
एक
आम
नागरिक
भी
मारा
गया
था।
इसमें
6
आतंकियों
को
मार
गिराया
गया
था।
पढ़ें: 'OROP में कुछ तकनीकी मुद्दे हैं, इसे जल्द दूर कर लेंगे'
क्या
वाकई
केजरीवाल
हित
चाहते
हैं?
आतंकी
हमलों
की
रिपोर्टिंग
हो
या
फिर
अन्य
मुद्दे,
इलेक्टॉनिक
मीडिया
की
कवरेज
के
लिए
नियम
तय
करने
और
कार्रवाई
की
मांग
लंबे
समय
से
उठती
रही
है।
26/11
आतंकी
हमले
के
समय
भी
आतंकियों
ने
टीवी
फुटेज
देखकर
सुरक्षाबलों
की
स्थिति
का
पता
लगाया
था।
ऐसा
पहली
बार
हुआ
है
कि
किसी
चैनल
पर
सैनिकों
की
सुरक्षा
से
खिलवाड़
करने
पर
कार्रवाई
हुई
है।
ऐसे
में
सवाल
यह
उठता
है
कि
लगातार
सैनिक
हितों
की
बात
करने
वाले
केजरीवाल
इस
फैसले
पर
सरकार
का
विरोध
क्यों
कर
रहे
हैं?
2007
में
लगा
था
इस
चैनल
पर
प्रतिबंध
इसके
पहले
एक
स्कूल
टीचर
पर
सेक्स
रैकेट
चलाने
का
झूठा
आरोप
लगाने
वाला
स्टिंग
ऑपरेशन
चलाने
औप
अधूरा
सच
दिखाने
के
आरोप
में
सितंबर
2007
में
लाइव
इंडिया
न्यूज
चैनल
को
एक
महीने
के
लिए
बैन
कर
दिया
गया
था।
उस
वक्त
केंद्रीय
सूचना
प्रसारण
मंत्रालय
ने
कहा
था
कि
जनता
के
हित
और
नैतिकता
के
उल्लंघन
पर
सरकार
किसी
भी
चैनल
पर
प्रतिबंध
लगा
सकती
है।