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नोटबंदी से 80% रोजगार पर खतरा, आधी GDP को हो सकता है नुकसान

सरकार के नोटबंदी के फैसले ने न केवल भारत, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरना शुरू कर दिया है।

By Anujkumar Maurya
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नई दिल्ली। मोदी सरकार ने 9 नवंबर से 500 और 1000 के नोट बंद करने का फैसला किया, जिसके बाद से अब तक बैंकों के सामने लंबी लाइनें लगी नजर आ रही हैं। सरकार के इस फैसले ने न केवल भारत, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरना शुरू कर दिया है। कुछ लोग मोदी सरकार के इस फैसले को सही मान रहे हैं, तो कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं।

2000 rupees note

अंतरराष्ट्रीय मीडिया के एक बड़े अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने भी इस पर एडिटोरियल लिखकर अपनी राय दी है। एडिटोरियल में लिखा है कि पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार और कालेधन पर लगाम लगाने के लिए ऐसा किया है, लेकिन पीएम मोदी टैक्सों में कटौती न करके आर्थिक स्वतंत्रता में बाधा पैदा कर रहे हैं।

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ऐसा नहीं है कि भारत में सिर्फ गलत काम करने वाले लोग ही अधिक मात्रा में कैश अपने पास रखते हैं। आपको बता दें कि भारत में बहुत सी ऐसी एंटरप्राइज हैं जो ऑर्गेनाइज तरीके से काम नहीं करतीं। ये एंटरप्राइज भारत की कुल जीडीपी में करीब 45 फीसदी की हिस्सेदारी रखती हैं और 80 फीसदी लोगों को रोजगार देती हैं।

यह एंटरप्राइज सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के हिसाब से काम नहीं कर सकती हैं, क्योंकि उससे इनकी लागत बहुत अधिक बढ़ जाती है। इसी वजह से इन एंटरप्राइज में ट्रांजैक्शन कैश में होता है, भले ही उनके द्वारा ऐसा किया जाना गैरकानूनी ही क्यों न हो। ऐसे बिजनेस को पैसे उधार देने वाले भी कुछ लोग होते हैं, जो अपने पास भारी मात्रा में कैश रखते हैं।

जेटली भी हैं इन एंटरप्राइज के समर्थक

करीब साल भर पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में भी यह बात कही थी कि वह इन गैरकानूनी एंटरप्राइज के 'बड़े समर्थक' हैं। उन्होंने कहा था कि यह अनऑर्गेनाज्ड सेक्टर ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर से कहीं ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया कराते हैं। आपको बता दें कि यह एंटरप्राइज काफी तेजी से बढ़ते हैं।

हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी का फैसला सुनाने से पहले इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि उनके इस फैसले से इस तरह से काम करने वाले कारोबारियों पर क्या असर पड़ेगा। साथ ही, उन्होंने इस बात का भी अंदाजा नहीं लगाया कि ऐसे एंटरप्राइज में काम करने वाले लोगों और इन एंटरप्राइज के ग्राहकों पर इसका क्या असर होगा।

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नोटबंदी के हफ्ते भर बादी भी लोगों को दिक्कत

नोटबंदी का फैसला सुनाए जाने के सप्ताह भर बाद भी लोग अपने पैसों को बदलवाने के लिए बैंकों के बाहर लाइन लगाकर खड़े हैं। इस फैसले को गुप्त बनाए रखने के उद्देश्य से भारत सरकार ने देशभर के एटीएम को पहले से नए नोटों के हिसाब से कैलिबरेट नहीं किया था, जिसकी वजह से एटीएम इन नए नोटों को नहीं निकाल पा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने सभी स्थितियां सामान्य होने के लिए 50 दिन का समय मांगा है, लेकिन रोजाना कमाकर अपनी रोजी रोटी कमाने वाले लाखों लोगों के लिए यह कोई छोटी बात नहीं है। वहीं दूसरी ओर, जिनके पास वास्तव में कालाधन है, वे लोग उसे सफेद करने की तरकीबें निकालने में जुट गए हैं।

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भ्रष्टाचार रोकने का ये है सही तरीका

भ्रष्टाचार को रोकने का सही तरीका यह है कि सरकार लोगों पर लगाए जा रहे रेगुलेशन को कम करे, क्योंकि रेगुलेशन की अधिकता से ही कुछ अधिकारियों को रिश्वत लेने की ताकत मिलती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।

साथ ही टैक्स रेट में भी कटौती की जानी चाहिए ताकि टैक्स चोरी की घटनाओं को कम किया जा सके। ऐसा करके भ्रष्टाचार के खिलाफ की जा रही लड़ाई से किसी गरीब को कोई परेशानी नहीं होगी।

English summary
international media comment on demonetisation by modi government
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