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फिर नेपाल मदद को जाने से बचते एनजीओ

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नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) हालांकि नेपाल को मंगलवार को आए भूकंप के झटकों ने फिर से हिलाकर रखा दिया, पर इस बार उसकी मदद के लिए भारतीय एनजीओ पहले की तरह मदद करते नहीं दिखे।

पहले की तरह कोई एनजीओ नेपाल मदद पहुंचाने के लिए नहीं निकला। नेपाल के राजधानी में दूतावास में पहले की तरह से एनजीओ पहुंचे भी नहीं ताकि पता लगा सके कि वहां पर कौन सी जगहों पर जाना है मदद के लिए। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील मोदी से दुबारा आए भूकंप से पैदा हुए हालातों पर बात की।

बिहार जाएंगे

भूकंप से तबाह नेपाल में राजधानी के एनजीओ शहीद भगत सिंह सेवा दल की तरफ से कई दिनों तक लंगर का आयोजन हुआ। दल के प्रमुख जितेन्द्र सिंह शंटी ने कहा कि इस बार वे बिहार के भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए जा रहे हैं। उनका कहना था कि नेपाल में पूरी दुनिया से भारी मदद पहुंच रही है। उसे अब और मदद नहीं चाहिए।

लंगर आयोजित किया

बता दें कि शंटी दल की तरफ से नेपाल की राजधानी काठमांडू में लंगर चला रहे थे। सैकड़ों लोग लंगर खा रहे थे। लंगर में दाल, रोटी और सब्जी खिलाई गई।

जाने से बचते एनजीओ

जानकारों ने बताया कि नेपाल की जनता में भारत को लेकर उस तरह का प्रेम नहीं दिखता जैसा भारत की जनता का उनके प्रति रहता है। इस मानसिकता के कारण भी कई एनजीओ अब वहां पर जाने से बच रहे हैं।

नेपाल की जनता भारतीय मदद और चीन या पाकिस्तान की मदद को बराबर ही मानती है। इस बात को नेपाल में काम करके वापस लौटे कुछ एनजीओ से जुड़े लोगों ने महसूस किया। इस बीच, भारतीय सेना का नेपाल में आपदा राहत ऑपरेशन जारी है। भारतीय सेना वहां पर प्रभावित लोगों को हर मुमकिन मदद पहुंचा रही हैं।

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English summary
Indian NGOs reluctant to visit Nepal again. They seemed to wary visiting there as people of Nepal are getting enough help from all parts of the world.
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