सर्जिकल स्ट्राइक्स के बाद 'मैन ऑफ मूवमेंट' बने ले. जनरल रणबीर सिंह
नई दिल्ली। गुरुवार को जब मीडिया में इंडियन आर्मी के स्पेशल पैरा-कमांडोज के एलओसी पार चलाए गए सर्जिकल ऑपरेशन के बारे में जानकारी आ रही थी तो एक शख्स के बारे में भी लोग जानने को उत्सुक थे। डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह, वह नाम जिसने इस सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में मीडिया को जानकारी दी।
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पहली बार डीजीएमओ ने दी जानकारी
ले.जनरल रणबीर सिंह इस सर्जिकल ऑपरेशन के बाद इंडियन आर्मी के 'मैन ऑफ द मूवमेंट' बन गए हैं। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक 57 वर्षीय ले.जनरल सिंह को उनके करीबी एक बुद्धिमान सैनिक और एक जेंटलमैन ऑफिसर मानते हैं।
इंडियन आर्मी की पिछली परंपराओं को तोड़ते हुए लेफ्टिनेंट जनरल सिंह जो कि डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) हैं उन्होंने इंडियन आर्मी की सर्जिकल स्ट्राइक्स की पूरी योजना तैयार की और फिर मीडिया को भी खुद ही ब्रीफ किया।
ऐसा पहली बार है जब किसी डीजीएमओ ने खुद किसी ऑपरेशन के बारे में आगे आकर मीडिया को ब्रीफ किया है। कारगिल की जंग के समय भी सेना प्रवक्ता की ओर से ही मीडिया को जानकारी मिलती थी।
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पाक को जवाब देंगे लेकिन अपने तय समय और जगह पर
18 सितंबर को जब उरी के आर्मी बेस पर आतंकी हमला हुआ तो ले. जनरल रणबीर सिंह मीडिया से रूबरू हुए।
उन्होंने मीडिया से कहा कि इस आतंकी हमले का जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा सेना सही समय पर इसका जवाब देगी और जवाब सेना की चुनी जगह पर दिया जाएगा।
उस बयान के बाद 10 दिन तक जब कुछ नहीं हुआ तो सबको लगने लगा कि एक बार फिर सिर्फ कोरी बयानबाजी हुई। गुरुवार को लेफ्टिनेंट जनरल ने साबित कर दिया कि उनकी कही बात सिर्फ बयान नहीं था।
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पिछले वर्ष संभाला डीजीएमओ का पद
सिंह को पिछले वर्ष ही डीजीएमओ की जिम्मेदारी दी गई है। डीजीएमओ सेना के सर्वोच्च पदों में से एक है। डीजीएमओ सेना प्रमुख के प्रमुख स्टाफ का मुखिया होता है।
वह मिनट-टू-मिनट हर काउंटर-इनसर्जेंसी ऑपरेशन पर नजर रखता है। साथ ही पाकिस्तान और चीन की सीमओं पर होने वाली गतिविधियों की जानकारी लेता और फिर डिप्टी आर्मी चीफ को रिपोर्ट करता है।
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दिसंबर 1980 में हुए कमीशंड
लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने डीजीएमओ में बतौर कर्नल और ब्रिगेडियर में सेवाएं दी हैं। डीजीएमओ मिलिट्री पॉलिसी और प्लानिंग का नर्व सेंटर माना जाता है।
जनरल सिंह पंजाब के जालंधर के रहे वाले हैं और उन्होंने कपूरथला के सैनिक स्कूल से पढ़ाई की है। 13 दिसंबर 1980 को वह इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आइएमए) से पास हुए और फिर 9 डोगरा रेजीमेंट उन्हें कमीशन मिला। जिसे उन्होंने बाद में कमांड भी किया।
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह का परिवार होशियारपुर जिले में आने वाले अंबाला जाट्टन गांव का रहने वाला है लेकिन अब जांलधर में उनका स्थायी निवासी है।
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चाचा ने किया पालन-पोषण
उनके
पिता
की
मृत्यु
उस
समय
ही
हो
गई
थी
जब
वह
बच्चे
थे।
इसके
बाद
उनके
चाचा
कर्नल
मनमोहन
सिंह
ने
उनका
पालन-पोषण
किया।
वह
पढ़ाई
में
हमेशा
टॉपर
रहे
थे।
चाचा
कर्नल
मनमोहन
सिंह
इस
समय
जालंधर
स्थित
सैनिक
वेलफेयर
के
डिप्टी
डायरेक्टर
हैं।
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डिफेंस सर्विसेज स्टॉफ कॉलेज के ग्रेजुएट
वह तमिलनाडु के वेलिंगटन स्थित डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज से ग्रेजुएट हो चुके हैं। इसके बाद ही उन्होंने 9 डोगर की कमान संभाली थी।
ब्रिगेड कमांड करने के बाद वह यूनाइटेड किंगडम (यूके) गए और यहां पर उन्होंने रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंज स्टडीज में एक वर्ष का कोर्स किया। लेफ्टिनेंट जनरल सिंह आर्मी वॉर कॉलेज महो, में फैकल्टी भी रह चुके हैं।
सर्जिकल स्ट्राइक्स की प्लानिंग करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल सिंह पढ़ने और गोल्फ खेलने के शौकीन हैं।