डोकलाम विवाद के बीच ब्रिक्स समिट में भारत कैसे पार पाएगा चीन से
डोकलाम विवाद के बीच ब्रिक्स समिट पर भारत की नजर, पीएम मोदी के समिट में जाने पर अभी भी संशय बरकरार
नई दिल्ली। जिस तरह से भारत और चीन के बीच डोकलाम मुद्दे को लेकर विवाद चल रहा है, ऐसे चीन में होने वाली ब्रिक्स समिट से पहले पहले भारत सरकार रूस के संपर्क में है। सूत्र ने बताया कि यह भारत के नजरिए से काफी अहम है क्योंकि जिस तरह से अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इधर-उधर के बयान दे रहे हैं उस वक्त भारत का रूस के साथ संबंध को बढ़ाना बड़ा कूटनीतिक फैसला है।
भारत ने साफ किया रुख
यहां गौर करने वाली बात है कि डोकलाम विवाद से पहले भी भारत ने रूस का रूख किया था। दरअसल चीन एनएसजी ग्रुप में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि रूस भारत का अहम कूटनीतिक साथी है। इससे पहले ब्रिक्स की तैयारी को लेकर हो रही बैठक में भारत ने रूस के समकक्षों से बात की और डोकलाम, भूटान मुद्दे पर भारत का पक्ष रखा। भारत ने इस बैठक में साफ किया है कि चीन के गलत रुख की वजह से यह विवाद बढ़ा है।
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पीएम का जाना तय नहीं
हालांकि
भारत
की
ओर
से
अभी
भी
इस
बात
की
पुष्टि
नहीं
की
गई
है
कि
क्या
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ब्रिक्स
की
बैठक
में
हिस्सा
लेंगे
जोकि
3
से
5
सितंबर
के
बीच
चीन
के
जियामेन
में
होगी।
रूस
इस
बात
को
लेकर
काफी
आशांवित
है
कि
यह
बैठक
डोकलाम
में
चल
रहे
विवाद
को
कम
करने
में
अहम
भूमिका
निभाएगी।
यहां
बताना
जरूरी
हो
जाता
है
कि
चीन
ने
लगातार
भारत,
रूस
और
चीन
के
विदेशमंत्रियों
की
एक
साथ
त्रिपक्षीय
बैठक
को
टालने
का
काम
किया
है,
यह
बैठक
इस
वर्ष
अप्रैल
माह
में
प्रस्तावित
थी,
जिसे
बीजिंग
ने
इनकार
कर
दिया
था।
माना
जा
रहा
था
कि
चीन
ने
इस
बैठक
को
इसलिए
भी
निरस्त
कर
दिया
था
क्योंकि
भारत
ने
दलाई
लामा
का
अरुणाचल
प्रदेश
में
स्वागत
किया
था।
चीन डाल रहा है लगातार रोड़ा
एक तरफ जहां चीन लगातार तीनों देशों के बीच आपसी बातचीत को रोकने की कोशिश कर रहा है तो दूसरी तरफ रूस तीनों देशों के बीच के संबंध को जिंदा रखने की कोशिश में जुटा हुआ है ताकि भारत चीन के बीच चल रहे विवाद को सुलझाया जा सके। हालांकि भारतीयों को इस बात की उम्मीद कम है कि भारत चीन के बीच डोकलाम विवाद में रूस खुलकर सामने आएगा वहीं पीएम मोदी के लिए भी यह बैठक काफी अहम है, माना जा रहा है कि किसी समाधान के नहीं निकलने की संभावना पर पीएम इस बैठक में शिरकत नहीं करेंगे।
भारत के लिए कई मुद्दे हैं अहम
भारत सरकार इस मामले में रूस की ओर देख रही है और उम्मीद लगाए हुए है कि रूस ब्रिक्स समिट में रूस आतंकवाद, सहित तमाम अहम मुद्दों पर पीएम मोदी का समर्थन करे। इस ब्रिक्स समिट से पहले भारत 2016 की ब्रिक्स समिट के प्रस्ताव को एक बार फिर से याद रखना चाहेगा जिसमें भारत के मुख्य मुद्दे को स्वीकार नहीं किया गया था, जिसमें भारत ने कहा था कि उसकी सबसे बड़ी समस्या सीमा पार से हो रहा आतंकवाद है। माना जा रहा था कि चीन ने ही भारत की इस शब्दावली का विरोध किया था, जिसमें भारत ने आतंकवाद के लिए इस्लामाबाद की ओर इशारा किया था। चीन ने भारत के उस प्रस्ताव के खिलाफ भी वोट किया था जिसमें भारत ने कहा था कि लश्कर और जैश जैसे संगठन को प्रतिबंधित करने की बात कही थी। यहां तक की रूस ने भी इस बैठक में यह माना था कि जबात अल नुसरा सीरिया में आतंकी संगठन की तरह से काम कर रहा है।