एमटीसीआर में ऑफिशियली भारत की एंट्री, जानें कुछ खास बातें
नई दिल्ली। शुक्रवार को दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में भारत को न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में मिली असफलता के बाद सोमवार को थोड़ी सांत्वना देने वाली खबर मिली है। भारत अब आधिकारिक तौर पर मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजाइम (एमटीसीआर) में शामिल हो गया है।
एनएसजी के बाद एमटीसीआर सफलता
एक विज्ञप्ति जारी कर इस बारे में कहा गया है कि एमटीसीआर में भारत के शामिल होने के मुद्दे पर फैसला फ्रांस की राजधानी पेरिस में लिया गया है।
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इस बाबत नई दिल्ली स्थित फ्रांस, नीदरलैंड और लक्जमबर्ग के दूतावास को सूचना दे दी गई है। दुनिया के चार अहम न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी एक्सपोर्ट करने वाले खास देशों के समूह में एमटीसीआर काफी खास है।
ओबामा ने किया था ऐलान
भारत ने पिछले वर्ष एमटीसीआर में शामिल होने के लिए आवेदन किया था। इस माह की शुरुआत में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से व्हाइट हाउस में मुलाकात की थी तो उस समय ओबामा ने भारत के इस ग्रुप में शामिल होने के बारे में ऐलान किया था।
दो और समूहों में होगा भारत
एमटीसीआर में शामिल होने के बाद भारत दो अन्य समूहों ऑस्ट्रेलियन ग्रुप और वास्सेनार एग्रीमेंट में शामिल होने की कोशिश करने वाला है।
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एमटीसीआर की सदस्यता मिलने के बाद भारत दूसर देशों से सर्वेश्रेष्ठ मिसाइल टेक्नोलॉजी खरीद सकेगा। साथ ही रूस के साथ जारी साझा कार्यक्रम में और सफलता मिल सकेगी।
2004 के बाद किसी देश को एंट्री
एमटीसीआर में कुल 34 प्रमुख मिसाइल निर्माता देश शामिल हैं। इसकी स्थापना वर्ष 1987 में की गई थी. फ्रांस, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका , इटली और कनाडा इसके संस्थापक सदस्य रहे हैं।
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में
भारत
की
नो
एंट्री
से
खुश
एक
अमेरिकी
सीनेटर
बुल्गारिया
साल
2004
में
इस
समूह
का
सदस्य
बना
था।
इसके
बाद
किसी
नए
देश
को
इसका
मौका
नहीं
मिला।
12
वर्ष
बाद
भारत
वह
पहला
देश
है
जिसे
इस
ग्रुप
में
एंट्री
मिली
है।
क्या है एमटीसीआर का मकसद
एमटीसीआर
का
मकसद
मिसाइलों,
रॉकेट
सिस्टम
के
अलावा
वॉरशिप्स
500
किलोग्राम
भार
के
मिसाइल
को
300
किलोमीटर
तक
ले
जाने
की
क्षमता
वाली
तकनीक
को
बढ़ावा
देना
है।
बड़े
विनाश
वाले
हथियारों
और
तकनीक
पर
पाबंदी
लगाना
इसका
मकसद
है।
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मजबूत हुई भारत की दावेदारी
एमटीसीआर की सदस्यता के बाद भारत के हेग कोड ऑफ कंडक्ट में शामिल होने की दावेदारी को मजबूती मिलेगी। हेग का कोड ऑफ कंडक्ट बैलेस्टिक मिसाइल अप्रसार संधि की निगरानी करती है। आपको बता दें कि भारत के पड़ोसी चीन और पाकिस्तान इस ग्रुप के सदस्य नहीं हैं।
तो भारत बनेगा सुपर पावर
एमटीसीआर का सदस्य बनने से भारत को प्रमुख उत्पादक देशों से एडवांस मिसाइल टेक्नोलॉजी और मॉनीटरिंग सिस्टम खरीद में मदद मिलेगी।
सिर्फ एमटीसीआर सदस्य देश ही इसे खरीद सकते हैं। सदस्यता के साथ ही भारत के लिए अमेरिका से ड्रोन टेक्नोलॉजी लेना सरल हो जाएगा।