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पंजाब-गोवा में वोटिंग से पहले आयकर विभाग के फंदे में फंसी AAP

आयकर विभाग का आरोप है कि 2013-14 में पार्टी को मिले 50.6 करोड़ के चंदे में से 20.5 करोड़ और 2014-15 में मिले 6.5 करोड़ का चंदा संदिग्ध स्रोतों से है।

By Dharmender Kumar
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नई दिल्ली। दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है। आयकर विभाग ने 'आप' पर चंदे की झूठी और मनगढ़ंत ऑडिट रिपोर्ट देने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से एक राजनीतिक दल के तौर पर पार्टी की मान्यता रद्द करने की मांग की है। हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक आयकर विभाग ने कहा है कि 'आप' ने 27 करोड़ के चंदे की झूठी ऑडिट रिपोर्ट जमा की है।

arvind kejriwal पंजाब-गोवा में वोटिंग से पहले आयकर विभाग में शिकंजे में फंसी AAP

आयकर विभाग की यह रिपोर्ट पंजाब और गोवा में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक दो दिन पहले आई है, जहां आम आदमी पार्टी को एक मजबूत स्थिति में देखा जा रहा है। आयकर विभाग ने कहा है कि आम आदमी पार्टी ने 2013-14 और 2014-15 में झूठी और मनगढंत रिपोर्ट बनाकर पेश की है इसलिए एक ट्रस्ट और पार्टी के रूप में इसका रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाना चाहिए।

आप ने बताया भाजपा की गंदी चाल

वहीं, आम आदमी पार्टी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह पंजाब और गोवा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी की एक और गंदी चाल है। पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राघव चड्ढा ने इन आरोपों पर कहा कि भाजपा डर से कांप रही है, क्योंकि पंजाब और गोवा में लोग आम आदमी पार्टी के पक्ष में हैं और भाजपा को अपनी हार सामने दिखाई दे रही है।

27 करोड़ का चंदा संदिग्ध स्रोतों से

आयकर विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक 'आप' की वेबसाइट पर प्रकाशित डिटेल, बैंकों की दी गई स्टेटमेंट और चुनाव आयोग के समक्ष दी गई जानकारी में अंतर है। आयकर विभाग का आरोप है कि 2013-14 में पार्टी को मिले 50.6 करोड़ के चंदे में से 20.5 करोड़ और 2014-15 में मिले 6.5 करोड़ का चंदा संदिग्ध स्रोतों से है।

लिस्ट से 177 दानदाताओं के नाम गायब

रिपोर्ट के मुताबिक आम आदमी पार्टी ने 2013-14 में आयकर विभाग के समक्ष 177 दानदाताओं की एक लिस्ट दी, लेकिन जब विभाग ने इसकी जांच शुरू की तो पार्टी की चुनाव आयोग की दी गई दानदातों की सूची में से ये नाम गायब थे। चुनाव आयोग की दी गई सूची में केवल 20 हजार से ऊपर चंदा देने वाले लोगों के ही नाम शामिल थे। विभाग के अधिकारियों को पहली और संशोधित सूची में 874 दानदाताओं की पहचान में भी विसंगति मिली।

'रजिस्ट्रेशन रद्द करने की मांग कानूनी तौर पर तर्कसंगत नहीं'

वहीं, इस मामले पर वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी का कहना है कि 'आप' का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की मांग कानूनी तौर पर तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक होगा। पार्टी पर जो आरोप हैं, उन्हें कोर्ट में साबित किया जाना चाहिए। अगर किसी व्यक्ति ने आयकर विभाग के समक्ष गलत जानकारी दी तो उसपर धोखाधड़ी या अन्य धाराओं के तहत केस चल सकता है। ये भी पढ़ें- चुनाव आयोग की सरकार को फटकार, कहा- 48 घंटे पहले और कैबिनेट सचिवालय के माध्यम से भेजें प्रस्ताव

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English summary
Income Tax Department tells EC to cancel AAPs registration for false information.
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