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6 करोड़ भारतीय दिमागी रूप से हैं बीमार, आप भी कराइए टेस्‍ट

By Sachin Yadav
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नई दिल्ली। पूरे दक्षिण अफ्रीका की जितनी आबादी है, उतनी तादाद में लोग भारत के अंदर दिमागी रूप से बीमार हैं। भारत में करीब 6 करोड़ लोग मानसिक तौर पर बीमार हैं।

mental disorder

क्‍या मनोरोगियों का देश बनता जा रहा है भारत

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 1-2 करोड़ लोगों को स्किट्सफ्रीनीअ और बाइपोलर डिऑर्डर जैसे बीमारियां हैं और करीब 5 करोड़ लोग सामान्‍य तौर पर मेंटल डिऑर्डर जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं।

नेशनल कमीशन ऑन माइक्रोइकॉनामिक्‍स और हेल्‍थ के आंकड़ें बताते हुए लोकसभा में यह जानकारी केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री जेपी नड्डा ने लोकसभा में मई 2016 में दी थी।

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सरकार ने सच्‍चाई जानने के लिए कराया सर्वेक्षण

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक भारत अपने स्‍वास्‍थ्‍य बजट का कुल 0.06 फीसदी ही मानसिक बीमारियों के उपचार के लिए खर्च करता है। जबकि यह बांग्‍लादेश की तुलना में 0.44 फीसदी कम है।

डब्‍लूचएओ के मुताबिक कई विकसित देश मानसिक बीमारियों के शोध पर अपने बजट में छह फीसदी का आवंटन करते हैं।

आपको बताते चलें कि भारत सरकार ने बेंगलुरू में स्थित नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्‍थ एंड न्‍यूरो साइंसेज के जरिए एक नेशनल मेंटल हेल्‍थ सर्वे कराया था। इस सर्वेक्षण में 1 जून 2015 से 5 अप्रैल 2016 के बीच में 27,000 लोगों की राय ली गई।

इसके बाद यह पता चला कि भारत में सीधे तौर पर मानसिक बीमारियों का इलाज करने वाले डॉक्‍टरों की कमी है। सबसे ज्‍यादा कमी जिलों और निचले स्‍तर पर है।

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66200 मनोरोग चिकित्‍सकों की कमी

लोकसभा में दिए गए जवाब के मुताबिक देश में 3800 मनोरोग चिकित्‍सक, 898 क्‍लीनिकल मनोचिकित्‍सक, 850 मनोरोगी सामाजिक कार्यकर्ता, 1500 मनोरोग चिकित्‍सक नर्स देश में उपलब्‍ध हैं। इसका जब अनुपात निकाला गया तो पता चला कि देश में दस लाख लोगों पर सिर्फ तीन मनोचिकित्‍सक हैं।

डब्‍लूएचओ के मुताबिक कॉमनवेल्‍थ देशों की तुलना में यह आंकड़ा 18 गुना कम है। डब्‍लूएचओ के नियमों के मुताबिक 1 लाख की आबादी पर 5.6 मनोरोग चिकित्‍सक होने चाहिए।

भारत में कुल 66200 मनोरोग चिकित्‍सकों की कमी है। वहीं देश में मनोरोग चिकित्‍सा के क्षेत्र में 269,750 नर्सों की जरूरत है।

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English summary
In india 60 million people suffer from mental disorders
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