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आगे भी दर्द देंगे नृपेंद्र मिश्र की नियुक्त‍ि से पैदा हुए ये 3 संवैधानिक कांटे

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नई दिल्ली। मयंक दीक्ष‍ित- भले ही भाजपा सरकार ने सत्ता में आते ही कई फैसले लेकर जनता से मिले बहुमत का भरपूर फायदा उठाया हो पर सैद्धांतिक और सांवैधानिक मूल्यों को नजरंदाज कर काई भी फैंसला पूरी तरह 'जनहित' नहीं कहा जा सकता।

नृपेंद्र मिश्र की छवि नौकरशाही में एक ईमानदार और संवेदनशील अधिकारी की रही है। मिश्र के बारे में बताया जाता है कि वे स्वतंत्र रूप से फैसले लेना और बहुत ज्यादा काम करना पसंद करते हैं। उनकी सोच भी 'राष्ट्रवादी' बताई जाती है। ट्राई के चेयरमैन पद से हटने के बाद वे कई सालों तक सरकारी पदों से दूर रहे। उनके पास लंबा प्रशासनिक तजुर्बा है। इन्हीं खूबियों को ध्यान मे रखकर आनन-फानन अध्यादेश लाया गया। पर इस फैसले से तीन संवैधानिक कांटे पैदा हुए हैं-

मुख्य निर्वाचन आयुक्त का नियुक्त‍ि नियम-

अगर संवैधानिकता की बात करें तो हम पाएंगे कि चीफ इलेक्शन कमिश्नर का पदभार भी कुछ इसी तरह का नियम धारण् किए हुए है। कार्यकाल के बाद सम्बंध‍ित अध‍िकारी किसी भी तरह का सरकारी-निजी पद अपने हिस्से में नहीं रख सकता है।

अगर इसी तरह सरकार व सत्ता की हनक जारी रही तो आने वाले वक्त में हम देखेंगे कि जो भी सरकार भविष्य में सत्ता संभालेगी वो अपने मनमुताबिक योग्य व्यक्त‍ियों को भी सरकार में जगह देगी। ऐसे में सवाल उठता है कि कानून और संव‍िधान बनाने वाले योग्य विशेषज्ञों ने क्या इस तरह के पहलुओं पर विचार नहीं किया था।


नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) का नियुक्त‍ि नियम-

ऐसा ही पद कैग प्रमुख का भी है। इस तरह के व्यक्त‍ि भी संविधान द्वारा जारी नियम तले बंधे हुए हैं कि वे अपने कार्यकाल के बाद किसी भी तरह का लाभकारी पद हासिल करने के अधकारी नहीं हैं। यदि निकट भविष्य में किसी भी सत्तारूढ़ दल ने इस तरह की दलली पेश की कि उसने यह फैंसला जनहित में लिया है तो कैग जैसे संवैधानिक पद पर भी गंभीर सवाल पैदा होंगे।

पढ़ें- बाबा रामदेव को भाए वैदिक

मुख्य सतर्कता आयुक्त का नियुक्त‍ि नियम- लेखा जाेखा की गतिविध‍ियों पर केंद्रीय जिम्मेदार अध‍िकारी की नियुक्त‍ि भी इसी प्रावधान के चलते होती है। चीफ विजिलेंस कमिश्नर का पद भी आने वाले नए कार्यकाल में भी इसी तरह का अध्यादेश लाकर समझौता किया जा सकता है जो सांवैधानिक मूल्यों से परे होगा।

उदाहरण के तौर पर- कल को किसी सरकार की नजर में कोई व्यक्त‍ि, पत्रकार व कलाकार मंत्री पद के लायक हो जाएगा, तो उसे मंत्री बनाया जाएगा पर नियम कहता है कि उसे छह महीने के अंदर संसद (लोकसभा या राज्यसभा) की सदस्यता लेनी होगी।

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English summary
In BJP Nripendra Mishra appointment ordinance is root of spoiling constitution
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