आईसीसी और बीसीसीआई के बीच विवाद और बढ़ा, नया मोड़ आया
इस पूरे विवाद पर दुबई में मौजूद कुछ अधिकारियों का मानना है कि आखिरी ऑफर 45 करोड़ डॉलर यानी करीब 2885 करोड़ रुपये का होना चाहिए, साथ ही गवर्नेंस स्ट्रक्चर में भी कोई बदलाव नहीं होना चाहिए।
नई दिल्ली। आईसीसी और बीसीसीआई के बीच राजस्व मॉडल पर विवाद गहराने के बाद भारत के चैंपियंस ट्रॉफी में हिस्सा लेने पर संदेह के बादल मंडरा रहे हैं। भारतीय क्रिकेट बोर्ड और आईसीसी के बीच चल रहे विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। आईसीसी की मानें तो उन्होंने बीसीसीआई को मूल हिस्सेदारी से करीब 10 करोड़ डॉलर ज्यादा देने की तैयारी कर ली है। आईसीसी करीब 2500 करोड़ रुपये देने को तैयार हो गया है। ये पहले तय राशि से करीब 641 करोड़ ज्यादा है। दुबई में बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ऐसा कहा है।
क्या चैंपियंस ट्रॉफी में नहीं खेलेगी भारतीय टीम?
आईसीसी के चेयरमैन शशांक मनोहर की ओर ये पेशकश सामने आई थी, हालांकि इसे बीसीसीआई की ओर से नामंजूर कर दिया गया था। बीसीसीआई से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने आईसीसी से कहा कि हम आईसीसी के प्रस्ताव को बीसीसीआई आम सभा में रखेंगे, इसके बाद ही इस पर आखिरी फैसला लिया जाएगा। वरिष्ठ बीसीसीआई अधिकारी ने बताया कि आईसीसी से जुड़े अधिकारियों ने ये भी कहा है कि अगर बीसीसीआई 2500 करोड़ रुपये राशि लेने पर सहमति जता देते हैं तो मई में बोर्ड की बैठक में इसे मंजूरी दे दी जाएगी।
इस पूरे विवाद पर दुबई में मौजूद कुछ अधिकारियों का मानना है कि आखिरी ऑफर 45 करोड़ डॉलर यानी करीब 2885 करोड़ रुपये का होना चाहिए, साथ ही गवर्नेंस स्ट्रक्चर में भी कोई बदलाव नहीं होना चाहिए। हालांकि इस मुद्दे पर बीसीसीआई के अधिकारी ने कहा कि अगर ये मांग मानी जाती है तो बोर्ड की बैठक में बाकी सदस्यों को मनाने की कोशिशें होंगी लेकिन शशांक मनोहर इसके पक्ष में दिखाई नहीं दिए। इस बीच माना जा रहा है कि बीसीसीआई में मतदान का अधिकार रखने के वाले 30 सदस्य आने वाली एसजीएम में चैंपियंस ट्रॉफी से हटने के पक्ष में वोटिंग करेंगे। फिलहाल देखना होगा इस पर आखिरी फैसला बीसीसीआई की ओर से क्या लिया जाता है। बीसीसीआई अधिकारी ने बताया कि फिलहाल बीसीसीआई के पास चैंपियंस ट्रॉफी से हटने का रास्ता है। अब देखना होगा कि आईसीसी का रुख क्या रहने वाला है? दूसरी ओर बीसीसीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष ने आईसीसी की दुबई में चल रही बैठक पर टिप्पणी में कहा है कि ये स्वीकार योग्य नहीं है। ये संवेदनशील मुद्दा है और इस पर पूरे आंकलन के बाद ही आखिरी फैसला लिया जाएगा।
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