बुजुर्ग माता-पिता से अलग करने की कोशिश करने वाली पत्नी को दे सकते हैं अब तलाक
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि अगर पत्नी अपने पति को उनके बुजुर्ग मां-बाप से अलग करने की कोशिश करती है तो इस आधार पर पति अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है।
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सुप्रीम कोर्ट ने पारिवारिक झगड़ों पर दिया बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अनिल आर दवे और एल नागेश्वर राव की बेंच ने अपने निर्णय में कहा कि बुजुर्ग मां-बाप की सेवा करने व उनको आश्रय देने के कर्तव्य से अगर पत्नी अपने पति को रोकती है तो इस आधार पर तलाक के लिए पति अर्जी दे सकता है।
बेंच ने कहा कि शादी के बाद पति के परिवार की आय में पत्नी का हिस्सा होता है। लेकिन पति की पूरी आय का इस्तेमाल सिर्फ अपने लिए करने की नीयत से कोई पत्नी बुजुर्ग मां-बाप से उसके बेटे को अलग नहीं कर सकती।
'मां-बाप को अलग करना हमारी संस्कृति नहीं'
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि अपने मां-बाप से अलग होने के लिए पति पर दबाव डालना पश्चिमी संस्कृति में होता है। यह हमारी संस्कृति और सभ्यता में नहीं होता।
जजों ने कहा कि शादी के बाद पत्नी के जोर डालने पर मां-बाप से बेटा अलग हो जाए, ऐसी परंपरा भारतीय संस्कृति में न तो सामान्य है और न ही इसकी जरूरत है। अगर घर में इकलौता बेटा ही कमाने वाला हो तब तो ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए।
मां-बाप अपने बेटे को पालते हैं और पढ़ाते हैं इसलिए बेटा का यह नैतिक और कानूनी दायित्व है कि वह भी उस बुजुर्ग मां-बाप का ख्याल रखे जिनके पास या तो कोई आमदनी नहीं होती या बहुत ही कम आमदनी होती है।
बिना पुख्ता वजह के पति को अलग नहीं कर सकती
बेंच ने कहा कि शादी के बाद पत्नी अपने पति के परिवार की अभिन्न अंग बन जाती है और वह बिना किसी औचित्यपूर्ण व पुख्ता वजह के अपने पति पर मां-बाप से अलग हो जाने का दबाव नहीं डाल सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दिया फैसला
कर्नाटक के एक दंपति के केस में सुप्रीम कोर्ट ने तलाक की मंजूरी देते हुए यह फैसला सुनाया। केस के अनुसार, पत्नी ने मां-बाप से पति को अलग करने के लिए आत्महत्या करने की कोशिश की थी।
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