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यूपी में भूख से हो सकती है एक और 'नत्थू' की मौत!

By रामलाल जयन
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बांदा। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के ऐला गांव में कथित तौर पर भूख से हुई दलित नत्थू की मौत का मामला लोकसभा तक में उठ चुका है और यहां के जिला प्रशासन की खूब किरकिरी भी हो चुकी है। लेकिन, इसके बावजूद भी प्रशासन कोई सबक नहीं सीख पाया। भूख की त्राशदी से नत्थू की मौत तो सिर्फ बानगी है। अब भी कई ऐसे परिवार हैं, जो इस फाफाकशी से जूझ रहे हैं। ऐसी ही फाफाकशी से नरैनी तहसील के राजापुर गांव में दलित रामसनेही का परिवार भी जूझ रहा है।

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यूपी में भूख से हो सकती है एक और 'नत्थू' की मौत!

रामसनेही बताता है कि उसके पिता पूरन के नाम ऊबड़-खाबड़ करीब आठ बीधे कृषि भूमि है, चार भाई हैं। दो भाई परदेश में मजदूरी कर रहे हैं, एक भाई हीरालाल अलग रह गांव में मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा है। इसने बताया कि 'इस साल ढाई बीघे जमीन में गेहूं-जवा बोया था, जिसमें चार पसेरी गेहूं और सोलह पसेरी जवा पैदा हुआ है। पांच बीघे में ज्वार और अरहर बोई थी, जिसमें बीज तक वापस नहीं हुआ।

परिवार एक-एक दाने को मोहताज

इस समय हालात यह हैं कि उसका परिवार एक-एक दाने को मोहताज है। उसे न तो कोटेदार अनाज दे रहा और न ही प्रशासन उसकी सुनने को तैयार है। बस, एक ही जवाब दिया जा रहा कि अंत्योदय सूची में उसका नाम नहीं है। घर में अनाज न होने की वजह से उसने अपनी पत्नी और दो बच्चियों को उसके मायके भेज दिया है, जो बुधवार को वापस आए हैं।

मनरेगा में करीब बाइस सौ रुपये का काम किया

बकौल रामसनेही, 'उसने' मनरेगा में करीब बाइस सौ रुपये का काम किया है, लेकिन तीन माह से मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाया। एक माह पूर्व पड़ोस के बल्देव कोरी से दस किलोग्राम चावल उधार लिया था। इसके बाद एक सामाजिक कार्यकर्ता के कहने पर आपूर्ति निरीक्षक नरैनी ने पनगरा के कोटेदार लल्लू से 15 किलोग्राम गेंहूं मुफ्त दिलाया और तीन दिन पहले मोतियारी गांव के कोटेदार शिवदीन यादव ने 15 किलोग्राम चावल पैसे में दिया, गेहूं देने से मना कर दिया है। इस समय घर में सिर्फ सात-आठ किलोग्राम चावल बचा है। वह बताता है कि 'यह चावल ही खाकर बसर हो रहा है, चावल खत्म होने के बाद भूख मिटाने का अन्य कोई जरिया नहीं है।

अधिकारी नहीं सुनते

उसने बताया कि 'कई बार राशन कार्ड के लिए ऑन लाइन फॉर्म भरा है, लेकिन रसीद नहीं मिली। तहसील दिवसों में भी राशन दिलाए जाने की दरख्वास्त दी है, परन्तु अधिकारी नहीं सुनते।'

सरकारी मोबाइल नं0-09454417531 नहीं उठता

जिलाधिकारी बांदा के सरकारी मोबाइल नं0-09454417531 में फोन कर ऐसे परिवारों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने की सरकारी योजना की जानकारी लेने की कोशिश की गई, लेकिन उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। उपजिलाधिकारी नरैनी आर.के. सोनकर का कहना है कि 'असहाय और गरीबों को खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए लेखपाल को निर्देशित किया गया है।'

रामसनेही का नाम अंत्योदय सूची में नहीं

मोतियारी गांव के हल्का लेखपाल आनंद स्वरूप श्रीवास्तव का काम संभाल रहे रिटायर्ड लेखपाल गिरधारी ने बताया कि 'ग्राम प्रधान' मोतियारी के यहां समाजवादी सूखा राहत खाद्य सामाग्री के छह किट रखे हुए हैं, लेकिन रामसनेही का नाम अंत्योदय सूची में न होने से नहीं दिया जा सकता।' उन्होंने बताया कि 'ग्राम सभा की खुली बैठक 18 जून को आहूत की गई है, जिसमें ऐसे परिवारों को खाद्यान्न वितरण में शामिल करने पर विचार किया जाएगा।'

परिवार अब खायेगा क्या

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि 'भूख की त्राशदी झेल रहा रामसनेही के परिवार को यदि इस बैठक के बाद कार्ड धारकों की सूची में शामिल भी कर लिया गया तो राशन मिलने में अभी महीनों लग जाएंगे, तब तक उसका परिवार खाएगा क्या?

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English summary
Hunger will kill another Natthu in Uttar Pradesh because Banda's Farmer are helpless, they have not food and money. SP government silent on this issue.
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