पांच महीने में कैसे बदला सपा का सियासी गेम, देखिए एक नजर में
सपा में जो कुछ हुआ उसकी आग करीब पांच महीनों से सुलग रही थी। गेंद कभी अखिलेश यादव के पाले में होती थी तो कभी शिवपाल सिंह यदाव की तरफ।
नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी में छिड़ा घमासान एक बार फिर खुलकर सामने आ गया। पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने अपनी ताकत दिखाते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और पार्टी महासचिव रामगोपाल यादव को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। मुलायम का यह गुस्सा अखिलेश की ओर से उम्मीदवारों की नई लिस्ट जारी करने पर दिखा। लेकिन सपा में जो कुछ हुआ उसकी आग करीब पांच महीनों से सुलग रही थी। गेंद कभी अखिलेश यादव के पाले में होती थी तो कभी शिवपाल सिंह यदाव की तरफ। 'नेताजी' मुलायम सिंह यादव ने रेफरी की तरह इस बार अखिलेश को बाहर को अपने सियासी रिंग से बाहर कर दिया। पढ़िए आखिर ये क्यों और कैसे हुआ...
1.
अगस्त
2016
मुख्तार
अंसारी
की
पार्टी
कौमी
एकता
दल
के
समाजवादी
पार्टी
में
विलय
के
पार्टी
हाईकमान
के
फैसले
का
अखिलेश
यादव
ने
विरोध
किया।
अखिलेश
यादव
के
फैसले
पर
शिवपाल
सिंह
यादव
ने
कहा
कि
इस
बारे
में
कोई
निर्णय
लेने
में
उन्हें
नजरअंदाज
किया
गया।
शिवपाल
ने
इस्तीफे
की
धमकी
दी।
मुलायम
सिंह
यादव
ने
इसमें
दखल
दिया
और
शिवपाल
यादव
को
इस्तीफा
देने
से
रोका।
2.
सितंबर
2016
अखिलेश
और
शिवपाल
के
बीच
अगला
घमासान
तब
छिड़ा
जब
उन्होंने
शिवपाल
के
करीबी
कहे
जाने
वाले
मुख्य
सचिव
दीपक
सिंघल
को
पद
से
हटा
दिया।
शिवपाल
ने
इससे
नाराज
होकर
इस्तीफा
देने
की
धमकी
दी
तो
मुलायम
ने
उन्हें
शांत
करने
के
लिए
पार्टी
के
प्रदेश
अध्यक्ष
का
पद
अखिलेश
से
छीनकर
शिवपाल
को
दे
दिया।
इससे
नाराज
होकर
अखिलेश
ने
शिवपाल
के
कई
विभाग
छीन
लिए।
शिवपाल
ने
इसका
जवाब
इस्तीफे
से
दिया
और
कैबिनेट
व
पार्टी
के
सभी
पदों
से
इस्तीफा
दे
दिया।
उन्होंने
प्रदेश
अध्यक्ष
रहते
हुए
रामगोपाल
के
भतीजे
को
पार्टी
से
बाहर
कर
दिया।
यही
नहीं,
अखिलेश
के
करीबी
सात
युवा
नेताओं
को
भी
पार्टी
से
अनुशासन
के
नाम
पर
बाहर
किया।
3.
अक्टूबर
2016
शिवपाल
यादव
ने
विधानसभा
चुनाव
के
उम्मीदवारों
की
नई
लिस्ट
जारी
की।
अखिलेश
यादव
के
मुख्यमंत्री
बने
रहने
पर
भी
सवाल
उठने
लगे
क्योंकि
मुलायम
सिंह
मे
साफ
कहा
कि
पार्टी
समय
आने
पर
तय
करेगी
कौन
मुख्यमंत्री
होगा।
अखिलेश
के
समर्थक
एलएलसी
उदयवीर
सिंह
को
6
साल
के
लिए
पार्टी
से
निकाल
दिया
गया।
रामगोपाल
यादव
को
भी
अखिलेश
का
साथ
देने
के
आरोप
में
पार्टी
से
निकाल
दिया
गया।
शिवपाल
ने
उन
पर
सपा
तो
तोड़ने
और
बीजेपी
से
विलय
की
साजिश
रचने
का
आरोप
लगाया
था।
इस
सब
के
एक
दिन
बार
मुलायम
ने
प्रेस
कॉन्फ्रेंस
की
और
सभी
नेताओं
को
पार्टी
में
वापस
बहाल
कर
दिया।
4.
नवंबर
2016
मुलायम
सिंह
यादव
के
कहने
पर
रामगोपाल
यादव
को
एक
बार
फिर
उनके
सभी
पद
वापस
कर
दिए
गए
और
उन्हें
पार्टी
में
बुला
लिया
गया।
5.
दिसंबर
2016
पार्टी
सुप्रीमो
मुलायम
ने
शिवपाल
के
साथ
325
सीटों
के
लिए
उम्मीदवार
घोषित
किए।
इस
लिस्ट
में
अखिलेश
के
कई
करीबी
और
चहेते
नेताओं
का
नाम
नहीं
था।
जबकि
अखिलश
की
ओर
से
हटाए
गए
10
मंत्रियों
के
नाम
लिस्ट
में
थे।
इसके
विरोध
में
अखिलेश
यादव
ने
अपने
पसंदीदा
235
उम्मीदवारों
की
लिस्ट
जारी
की।
मुलायम
सिंह
ने
इसे
पार्टी
के
खिलाफ
काम
ठहराते
हुए
उन्हें
कारण
बताओ
नोटिस
दारी
किया।
पार्टी
महासचिव
रामगोपाल
यादव
ने
आपात
कालीन
बैठक
बुलाई।
नाराज
मुलायम
सिंह
ने
अखिलेश
और
रामगोपाल
को
6
साल
के
लिए
बाहर
कर
दिया।
अब
सपा
नया
सीएम
चुनेगी।