फिलीस्तीन और इजरायल के साथ अच्छे रिश्तों के लिए पीएम मोदी का एक स्मार्ट कदम!
प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार नरेंद्र मोदी करेंगे इजरायल का दौरा लेकिन नहीं जाएंगे फिलीस्तीन। लेकिन उससे पहले होगा फिलीस्तीन के राष्ट्रपति का स्वागत।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आखिरकार जुलाई में पहले इजरायल दौरे पर जाएंगे। इसके साथ ही इजरायल की वह मुराद भी पूरी हो जाएगी जो वर्ष 2014 से उसने अपने दिल में रखी थी। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का यह पहला दौरा होगा और खास बात यह है कि पीएम मोदी इस दौरे में फिलीस्तीन नहीं जाएंगे जैसा कि बाकी भारतीय प्रधानमंत्रियों ने किया है।
वर्ष 1992 के बाद किसी पीएम को इजरायल दौरा
पीएम मोदी का यह इजरायल दौरा इसलिए भी अहम है क्योंकि वर्ष 1992 के बाद वह पहले भारतीय पीएम हैं जो इजरायल जा रहे हैं। भारत और इजरायल के रिश्ते अपने 25वें वर्ष में हैं और नवंबर 2016 में इजरायल के राष्ट्रपति रियूवेन रिवलिन भारत का दौरा कर चुके हैं। लेकिन अगर आपको लग रहा है कि पीएम मोदी अपने इस दौरे की वजह से फिलीस्तीन को नजरअंदाज करेंगे तो आप गलत सोच रहे हैं। फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास, पीएम मोदी के इजरायल जाने से पहले भारत आएंगे। पीएम मोदी की ही तर्ज पर वह भी पहले ऐसे फिलीस्तीनी राष्ट्रपति होंगे जो अपनी इस यात्रा में पाकिस्तान नहीं जाएंगे।
जुलाई में होगा इजरायल दौरा
इजरायली पीएम बेंजामिन नेतान्याहू देश में सरकार बदलने के बाद कई बार भारत का दौरा कर चुके हैं लेकिन पीएम मोदी इजरायल नहीं गए। हालांकि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अक्टूबर 2015 में इजरायल और फिलीस्तीन के दौरे पर गए थे। जनवरी 2016 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और नवंबर 2014 में गृहमंत्री राजनाथ सिंह इजरायल का दौरा कर चुके हैं।
पीएम मोदी के रवैये पर उठा सवाल
पीएम मोदी और इजरायली पीएम नेतान्याहू कई मौकों पर एक दूसरे से मिल चुके थे लेकिन पीएम मोदी इजरायल क्यों नहीं जा रहे हैं, इस पर कई लोगों ने सवाल उठाए। कई लोगों ने कहा कि पीएम मोदी ऐसा करने से इसलिए बच रहे हैं क्योंकि वह भारत में अपने एक खास वोट बैंक को निराश नहीं करना चाहते हैं तो कई लोगों ने कहा पीएम मोदी दुविधा में हैं।
जी-20 से लौटते समय इजरायल
माना जा रहा है जुलाई के दूसरे हफ्ते में जब पीएम मोदी जी-20 में शिरकत करके लौटेंगे जो वह इजरायल जाएंगे। इस बार जी-20 जर्मनी के शहर हैम्बर्ग में है और सरकार के सूत्रों की मानें तो सिर्फ इजरायल का दौरा एक संदेश देने के लिए काफी है कि भारत इस देश के साथ अपने रिश्तों को कितनी अहमियत देता है।
सुषमा ने किया था वादा
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने करीब दो वर्ष पहले ऐलान किया था कि पीएम मोदी इजरायल जाएंगे लेकिन सरकार की पहली प्राथमिकता मोदी के कार्यकाल में अरब देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना थी। विशेषज्ञ मानते हैं कि पीएम मोदी का यह दौरा भारत की इजरायल-फिलीस्तीन नीति में बदलाव की ओर इशारा है। पीएम मोदी अब तक सऊदी अरब, कतर और यूएई का दौरा कर चुके हैं।
फिलीस्तीनी राष्ट्रपति भी नहीं जाएंगे पाकिस्तान
फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के इस भारत दौरे की खास बात यह है कि वह पाकिस्तान नहीं जाएंगे। उन्होंने पहले की पाकिस्तान का दौरा कर लिया है। रणनीतिक संबंधों के जानकार मानते हैं कि पश्चिम एशिया, खाड़ी और इजिप्ट जैसे देशों के नेता अब सिर्फ भारत दौरे का तरजीह दे रहे हैं।
दोनों देशों के साथ रिश्तों को तरजीह
जब से पीएम मोदी ने अपना कार्यभार संभाला है तब से ही सरकार की ओर से कई मुद्दों पर फिलीस्तीन को समर्थन देने की बात कही गई है साथ ही इजरायल के साथ भी अच्छे रिश्ते कायम हैं। यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स काउंसिल में जब एंटी-इजरायल विधेयक पर वोटिंग हुई तो भारत गायब रहा। इस प्रस्ताव में इजरायल को गाजा में मानवाधिकार हनन का दोषी माना गया और उसे अंतराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने वाला कहा गया।
क्या कहा था भारत ने
भारत की गैर-मौजूदगी फिलीस्तीन के लिए बड़ा झटका थी लेकिन भारत ने कहा कि यह विधेयक इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के तहत है और भारत इसका सदस्य नहीं है। साफ है कि पीएम मोदी और उनकी सरकार दोनों देशों के साथ रिश्तों पर काफी चतुराई से आगे बढ़ रही है।