एक मस्जिद जहां होती है एक हिंदु के लिए प्रार्थना
मल्लापुरम। इस समय पूरे देश में धार्मिक आजादी, सहिष्णुता और सहनशीलता जैसे मुद्दों पर बहस का माहौल बना हुआ है। हर तरफ इन्हीं बातों की चर्चा है और कई तरह के विवाद भी सामने आ रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच ही केरल में कुछ ऐसा हो रहा है जो आपको सोचने और सीखने के लिए मजबूर कर देगा।
एक हिंदु के लिए होती प्रार्थना
केरल के मल्लापुरम में स्थित एक मस्जिद में हर वर्ष एक हिंदु शहीद के लिए प्रार्थना सभा का आयोजन होता है। करीब 290 वर्ष पहले यहां पर कुंहेलू नामक एक हिंदु की मौत उस समय हो गई थी जब वह कोझीकोड के शासक जामोरिन के साथ युद्ध लड़ रहे थे।
हालांकि इस युद्ध में 43 मुसलमान भी शहीद हुए थे। कुंहेलू को मल्लापुरम की वालियागड़ी जुमाममस्जिद में ही दफन किया गया था। भले ही कितनी सदियां बीत गई हों लेकिन आज भी इस मस्जिद में यह परंपरा कायम है।
क्या कहता है इतिहास
इतिहास में दर्ज आलेखों के मुताबिक और केरल के कवि मोइनकुट्टी वाडियार की कविताओं में इस बात का उल्लेख मिलता है कि जामोरिन के टैक्स वसूली के खिलाफ शुरू हुए युद्ध में मंत्री वाराक्कल पारानांबी की अगुवाई वाली सेना के खिलाफ मोर्चा लेते हुए वे शहीद हो गए थे।
कुंहेलू सुनार के परिवार से आते थे और उन्होंने अलीमारकर की सेना में शामिल होकर अपने मुसलमान दोस्तों का साथ देने का फैसला किया था। नांबी में उस समय मुसलमानों पर दबाव डाला जा रहा था कि वह इस क्षेत्र को छोड़कर चले जाएं।
मस्जिद बनी अहम धार्मिक स्थल
यहां तक कि एक मस्जिद को भी आग के हवाले कर दिया गया था। बाद में नांबी ने खुद इस मस्जिद का निर्माण करवाया और मुसलमानों के परिवारों को वहां पर बसने के लिए कहा। आज यह मस्जिद मल्लापुरम का एक अहम धार्मिक स्थल बन चुकी है।
मस्जिद में होने वाली प्रार्थना सभा के दौरान कुंहेलू के वंश के लोगों को भी बुलाया जाता है और शहीदों की याद में यहां पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है।