बड़ी लापरवाही का नतीजा है जम्मू के नगरोटा में हुआ आतंकी हमला
नगरोटा आतंकी हमले से जुड़ी इंटेलीजेंस के बाद 10 दिन पहले जारी किया गया था आखिरी अलर्ट। किसी बड़े सैन्य संस्थान को निशाने बनाने की थी चेतवानी लेकिन फिर भी नहीं थे सुरक्षा के पूरे इंतजाम।
नगरोटा। मंगलवार को नगरोटा में आतंकी हमले ने एक बार फिर से सात बहादुरों की जान ले ली। जहां यह हमला देश पर खतरे को बयां करता है तो वहीं इस हमले से साफ होता है कि इंटेलीजेंस कितनी अलर्ट है। इस हमले ने इंटेलीजेंस और फिर उसके आधार पर सुरक्षा इंतजामों की पोल खोलकर रख दी है।
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10 दिन पहले अलर्ट
इंटेलीसेंज सर्विसेज इस पर नजर रखे हुए थीं कि पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की एक सेल नगरोटा में मौजूद सेना के XVI कमान को निशाना बना सकती है। इंटेलीजेंस सर्विसेज की ओर से सिर्फ 10 दिन पहले ही इस बारे में एक अलर्ट जारी किया गया था। एक मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
नहीं थे सुरक्षा के कोई उपाय
हालांकि मंगलवार को हुआ हमला घाटी में मौजूद लश्कर की यूनिट ने नहीं किया है लेकिन आफिसर्स के मुताबिक जिस तरह से वॉर्निंग जारी हुई उससे कई तरह के सवाल खड़े होते हैं। वहीं ऑफिसर्स इस बात को लेकर भी काफी चिंतित हैं कि अलर्ट होने के बावजूद सुरक्षा के अतिरिक्त उपाय संवेदनशील संस्थानों पर है ही नहीं।
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दिवार फांदकर पहुंचे आतंकी
किस तरह से इस आतंकी हमले को अंजाम दिया गया इससे जुड़ी जानकारियां भी सामने आ रही हैं। जो बात सबसे ज्यादा चिंताजनक है वह है कि आतंकी दिवार को फांदकर अंदर आए थे। इसके बाद वह उस तरफ बढ़े जहां पर ऑफिसर्स और उनकी फैमिलीज रहती हैं।
इसके बाद एक ऑफिसर और दो जवानों आतंकियो से करीब दर्जन भर सैनिकों को बचाने की कोशिशों में शहीद हो गए। दो महिलाएं और दो बच्चे भी उसी बिल्डिंग में फंसे थे जहां पर आतंकी मौजूद थे।
अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं
नॉर्दन कमांड की ओर से अभी तक कोई भी आधिकारिक बयान नहीं आया है कि कैसे आतंकी बेस तक पहुंचे। एक टॉप आर्मी ऑफिसर की ओर से बताया गया कि इस हमले के बाद यह साफ हो जाता है कि आतंकी इस इलाके से अच्छी तरह वाकिफ थे। हो सकता है कि उन्होंने नागरिकों से इस बेस में दाखिल होने से जुड़ी कई अहम जानकारियां इकट्ठा कर ली हो। इस बात की तफ्तीश की जाएगी।
पठानकोट जैसा है नगरोट हमला
जनवरी में जब पठानकोट आतंकी हमला हुआ था तो उस समय भी आतंकी इसी तरह से दिवार फांदकर एयरफोर्स के बेस तक पहुंच गए थे। एक टॉप मिलिट्री ऑफिसर के मुताबिक देश में सैंकड़ों आर्मी बेस और संस्थान हैं जिनमें सीसीटीवी तक नहीं इंस्टॉल किए गए हैं। बाकी सुरक्षा इंतजाम जैसे सेंसर्स और बाकी उपकरण तो दूर की बात है।