उप्र: मोदी सरकार के रेल बजट से उप्र को काफी उम्मीदें
लखनऊ| भारतीय रेलवे को सबसे अधिक आय देने वाले देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश को मोदी सरकार के दूसरे रेल बजट से काफी उम्मीदें हैं। उप्र के वाराणसी से सांसद चुने गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास की रेल काशी तक पहुंचने की उम्मीदें सभी कर रहे हैं और आशा है कि इस बार के रेल बजट में उप्र के लिए काफी कुछ होगा।
केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा भी काशी के ही पड़ोसी जिले गाजीपुर से सांसद हैं और लोगों को उनसे भी काफी अपेक्षाएं हैं। ऐसी उम्मीद है कि पूर्वाचल सहित पूरे उप्र के लिए इस बार रेल बजट में विशेष उपहार हो सकता है।
उप्र देश का सबसे बड़ा राज्य होने के नाते रेलवे को सबसे अधिक आय भी देता है लेकिन उप्र में कई रेलवे स्टेशन ऐसे हैं जहां अभी भी सुविधाओं टोटा जैसा है। कहीं स्टेशनों पर बैठने की जगह नहीं है तो कई रेलवे स्टेशनों पर आवश्यकता के अनुसार प्लेटफार्म नहीं हैं।
लम्बे समय बाद पहली बार चूंकि पूर्वाचल से कोई रेल राज्य मंत्री बना है इसलिए उम्मीद है कि पूर्वाचल के उन जिलों तक भी रेल का पहिया पहुंचेगा जहां तक अब तक नहीं पहुंच सका है। गाजीपुर, बलिया, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया सहित कई जिलों में अब तक डबल लाइन का अभाव है।
पिछले रेल बजट में छपरा-लखनऊ एक्सप्रेस शुरू करने की बात कही गई थी, जो अब तक नही चल पाई है। उप्र में रेलवे की कई योजनाएं अधर में लटकी हुई हैं। कुशीनगर जैसे धार्मिक स्थल के नाम पर कुशीनगर एक्सप्रेस तो चलाई जाती है लेकिन वह गोरखपुर में ही रुक जाती है। कुशीनगर तक आज भी रेलवे लाइन नहीं बिछ पाई है, जो इस सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
आउटलुक पत्रिका से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार कुमार पंकज के अनुसार, "उप्र को मोदी के रेल बजट से काफी उम्मीदें रहेंगी। काशी उनका संसदीय क्षेत्र भी है लिहाजा इस बात की उम्मीद है कि बनारस रेलवे स्टेशन को अत्याधुनिक बनाए जाने के लिए इस बजट में कुछ विशेष योजनाएं हों।"
उन्होंने कहा, "उप्र को हमेशा ही इस बात से जोड़ दिया जाता है कि यहां से होकर ज्यादा से ज्यादा रेलगाड़ियां गुजरती हैं। पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर और बिहार जाने वाली लगभग सभी रेलगाड़ियां उप्र से होकर ही गुजरती हैं। इस नाते कानपुर सेंट्रल स्टेशन और मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर काफी दबाव रहता है।
पंकज ने बताया कि रेलवे बोर्ड की एक समिति बनाई गई थी, जिसने कहा था कि जिन रेलमार्गो पर कमाई ज्यादा है वहां या तो स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएं या फिर जो रेलगाड़ियां चल रहीं हैं उनमें ही अतिरिक्त कोच की व्यवस्था की जाए। रेलवे को उम्मीद है कि इस व्यवस्था से भी काफी लाभ पहुंचेगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।