अलीगढ़ के इस 'सलमान' को चाहिए 'बजरंगी भाईजान'
नयी दिल्ली (ब्यूरो)। हमारे पास पासपोर्ट नहीं है और ना ही वीजा मगर अब हम 'मुन्नी' को उसके घर पाकिस्तान छोड़कर ही आऊंगा। सलामन खान ने फिल्म बजरंगी भाईजान में जब यह डॉयलॉग बोला तो सबने जमकर तालियां पीटीं और सीटियां बजाई। वो तो रील लाइफ था मगर रीयल लाइफ में भी एक ऐसा सलमान है जिसे बजरंगी भाईजान की जरूरत है।
जी हां अलीगढ़ के जयगंज में रहने वाली सलमा इसी उम्मीद में जी रही है कि शायद उसके 24 साल के बेटे 'सलमान ' को कोई कराची से वापस हिन्दुस्तान ले आए। सलमान 22 साल पहले कराची गया था मगर अभी तक वापस नहीं आया। कहानी 1994 में शुरु हुई जब सलमा अपने दो बेटों के साथ नूरी वीजा पर पाकिस्तान गईं।
आपको बताते चलें कि यह वीजा उन पाकिस्तानी महिलाओं को दिया जाता है जिनकी शादी हिंदूस्तान में हुई हो। इस वीजा के मुताबिक नूरी पाकिस्तान में 90 दिनों तक रह सकती थीं। सलमा जब वापस इंडिया लौटीं तो उनके साथ उनका एक ही बेटा वापस आया क्योंकि सलमान की बीमार पड़ गया।
बिना इलाज कराए वो सलमान को साथ नहीं ला सकती थीं और खुद भी 90 दिन से ज्यादा पकिस्तान में नहीं रुक सकती थीं। न तो सलमा अपना वीजा बढ़वा पाईं और न ही बेटे के ठीक होने का इंतजार कर पाईं। लिहाजा उन्होंने उसे नाना-नानी के पास छोड़ दिया।
काफी दिनों बाद सलमा की ही एक बांझ बहन ने सलमान को अनौपचारिक रूप से गोद ले लिया। अब सलमान अपने वतन लौटना चाहता है। वह खुद पाकिस्तान में नही रहना चाहता है, और न ही वहां कुछ काम करना चाहता है। लेकिन अब दो दशक के बाद सलमा के पिता यानि कि सलमान के नाना का देहावसान हो चुका है। कहती हैं कि उनकी अम्मी की सेहत भी कुछ ठीक नहीं रहती है।
नानी की सेहत भी ठीक नहीं है। सलमान को गोद लेने वाली सलमा की बहन भी अब उसकी फिक्र नहीं करती। सलमान खुद भी अपनी अम्मी के पास हिन्दुस्तान लौटना चाहता है। पर सलमा और उसके सारे परिवार की कोशिशें अभी तक नाकाम रही हैं। सलमा तमाम सरकारी दफ्तरों के दरवाजे खटखटा चुकी हैं, लेकिन उनके पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है जिससे यह जाहिर होता हो कि सलमान हिंदुस्तानी है या पाकिस्तानी।