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अहमद पटेल की जीत से बर्बाद हुआ अमित शाह का विजयी जश्न तो वहीं पंजे को मिली संजीवनी

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गांधीनगर। देश के 18 राज्यों में इस वक्त भगवा झंडा लहरा रहा है, बीजेपी ने कई जगह जीतकर तो कई जगह बिना जीते ही सरकार बनाई, बावजूद इसके गुजरात में राज्यसभा का चुनाव आखिर उसके लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न क्यों बना हुआ था, ये एक महत्वपूर्ण प्रश्न है, जो इस वक्त हर किसी के जेहन में कौंध रहा है।

राज्‍यसभा चुनाव में जीत के बाद अहमद पटेल ने ऐसे निकाली बीजेपी पर भड़ासराज्‍यसभा चुनाव में जीत के बाद अहमद पटेल ने ऐसे निकाली बीजेपी पर भड़ास

आखिर क्या वजह है कि अहमद पटेल की जीत ने भाजपा के दो दिग्गज उम्मीदवारों (अमित शाह और स्मृति ईरानी) के विजयी जश्न को फीका और बेस्वाद कर दिया है, इसमें कोई शक नहीं कि जिस तरह से ये चुनाव लड़ा गया है वो किसी क्रिकेट मैच से भी ज्यादा रोमांचक था।

क्या है अहमद पटेल की जीत के मायने?

क्या है अहमद पटेल की जीत के मायने?

आपको बता दें कि पीएम मोदी के गृहराज्य गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, वैसे तो गुजरात में बीजेपी का हरा पाना कांग्रेस के लिए पत्थर से पानी निकालने जैसा है लेकिन इसके बावजूद शह-मात के इस खेल में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के दिमाग में शायद ये ही चल रहा था कि वो यूपीए सुप्रीमो सोनिया गांधी को दाहिने हाथ अहमद पटेल को राज्यसभा चुनाव में हराकर कांग्रेस पर विधानसभा चुनाव से पहले ही मनोवैज्ञानिक बढ़त बना लेंगे, दो कि कांग्रेस मुक्त भारत अभियान में उनका बड़ा कदम होता।

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 सियासी नाटक

सियासी नाटक

पिछले कुछ वक्त से गुजरात में जो सियासी नाटक चल रहा था, उससे साबित होता है कि बीजेपी पूरी तरह से अहमद पटेल को हराने पर आमदा थी। इसमें कोई संदेह नहीं, अहमद पटेल की ये मामूली जीत ने मरणासन्न पड़ी कांग्रेस के अंदर वापस सांसे भर दी हैं क्योंकि चुनाव से ठीक पहले गुजरात के कद्दावर नेता शंकरसिंह वाघेला ने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया है, जिससे पार्टी पूरी तरह से कमजोर हो गई है लेकिन अहमद पटेल की ये जीत अब काफी हद तक पार्टी के लिए सकारात्मक काम करेगी।

अहमद पटेल की हार बहुत नुकसान करती

अहमद पटेल की हार बहुत नुकसान करती

दरअसल कांग्रेस इस बार राज्य में पाटीदारों, दलितों और दूसरे पिछड़े तबकों के भीतर सरकार के प्रति असंतोष को भुनाते हुए अपना जनाधार बढ़ाने की फिराक में है, ऐसे में अगर राज्यसभा से अहमद पटेल हारते तो ये कांग्रेस के लिए वज्रपात ही होता, पार्टी में पहले ही लगातार हो रही हार और वाघेला के जाने से फूट पड़ी हुई है, ऐसे में अहमद पटेल की शिकस्त बहुत नुकसान करती लेकिन अब ऐसा नहीं होगा और इसमें कोई शक नहीं कि अब इस जीत और जीत पर मचे बवंडर को भूनाने में कांग्रेस कोई कसर नहीं छोड़ने वाली।

चाणक्य बनाम चाणक्य

चाणक्य बनाम चाणक्य

अमित शाह अगर बीजेपी के चाणक्य कहे जाते हैं तो अहमद पटेल कांग्रेस के लिए चाणक्य हैं, अमित शाह और अहमद पटेल के बीच जंग आज से नहीं है बल्कि इसका इतिहास पुराना है, देखते हैं कि चाणक्य बनाम चाणक्य की लडा़ई में अब अगला दांव क्या होगा और शंकर सिंह वाघेला अब क्या कदम उठाते हैं, इस पर भी सबकी नजर होगी।

अहमद पटेल ने 44 वोटों के साथ जीत दर्ज की

अहमद पटेल ने 44 वोटों के साथ जीत दर्ज की

गौरतलब है कि राज्यसभा चुनाव की वोटिंग के बाद मंगलवार को करीब 10 घंटे के हाई-वोल्टेज ड्रामे के बाद नतीजे सामने आए, जिसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को 46-46 वोट मिले, वहीं अहमद पटेल ने 44 वोटों के साथ जीत दर्ज की।

Comments
English summary
The thorn in Amit Shah's heart was none other than senior Congress leader Ahmed Patel. More than his own seat, which anyway he was supposed to win, Shah and his teammates were all fighting to defeat Patel, the political strategist of Congress president Sonia Gandhi.
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