कंडोम पर छूट और सैनेट्री पैड पर 18 फीसदी GST, क्या कहते हैं रेड लाइट एरिया के लोग
सैनेटरी पैड पर 18 फीसदी GST, क्या कहते हैं यौनकर्मी
नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) 1 जुलाई 2017 से लागू हो गया। केंद्र सरकार लोगों को इसके फायदे बता रही है, तो विपक्ष जीएसटी की कमियों को गिना रहा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के रारजनीतिक दांव-पेंचों के बीच कुछ बातें ऐसी रह गई हैं, जिन पर चर्चा होना बेहद जरूरी है, लेकिन इनकी बात तक नहीं हो रही है। केंद्र के इस फैसले से सबसे ज्यादा वे महिलाएं प्रभावित हो रही हैं, जो रेडलाइट एरिया में रहती हैं। वे सरकार से सवाल पूछ रही हैं कि अगर कॉन्डोम टैक्स फ्री है तो महिलाओं के सैनेट्री पैड पर टैक्स को क्यों बढ़ाया गया है।
बढ़ गई सैनेट्री पैड्स की कीमत
इंडियन एक्सप्रेस ने पश्चिम बंगाल के सोनागाछी रेड लाइट एरिया में ऊषा सहकारी बैंक के मैनेजर के हवाले से लिखा है कि जीएसटी लागू होने के बाद सैनेट्री पैड की कीमत बढ़ गई है। बैंक के मैनेजर शांतनु चटर्जी ने बताया कि उनका बैंक रेडलाइट एरिया में सैनेट्री पैड और कॉन्डोम सस्ती दरों पर उपलब्ध कराता है। शांतनु के मुताबिक, पहले कई कंपनियां उन्हें छूट देती थीं, लेकिन जीएसटी के बाद उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया है। ऊषा सहकारी बैंक में 30,222 सदस्य हैं, इनमें ज्यादातर यौनकर्मी हैं।
यौनर्मियों के लिए परेशानी
सहकारी बैंक के अधिकारियों के मुताबिक, पहले वे सैनेट्री पैड खरीदकर उसे यौनकर्मियों को 63 पैसे में बेचते थे, लेकिन जीएसटी के बाद इसकी कीमत 8 रुपये पड़ रही है।
बैंक के संचालक डॉक्टर समरजीत के मुताबिक, वे कॉन्डोम के इस्तेमाल पर काफी जोर दे रहे हैं। यही वजह रही कि साल 2000 में एचआईवी एड्स की जो दर 5 से 6 प्रतिशत थी, वह अब घटकर 2 प्रतिशत पर आ गई है। डॉक्टर समरजीत का लक्ष्य साल 2025 तक इस दर को शून्य पर लाने का है।
टैक्स फ्री हों सैनेट्री पैड्स
डॉक्टर समरजीत का कहना है कि गरीब यौनकर्मी सैनेट्री पैड पर मिलने वाली छूट से लाभांवित होती हैं। उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में वे सहायता पर निर्भर होती हैं। डॉक्टर समरजीत ने कहा कि सरकार को सैनेट्री पैड जैसी वस्तुओं को टैक्स फ्री करना चाहिए।