रक्षा बंधन- गीतकार कुंअर बेचैन का अद्भुत गीत
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) सारा देश आज रक्षा बंधन का पावन पर्व मना रहा है। भाई-बहन के अटूट रिश्ते का त्योहार। जाने-माने गीतकार कुंअर बेचैन ने इस अवसर पर अद्भुत गीत लिखा है।
एक बहन राखी के दिन भाई से बहुत दूर है, जहां से वह रक्षा सूत्र भी नहीं भेज पा रही है। प्रतीकों के माध्यम से वह अपने भाई, मां और पिता के पास क्या संदेशे भेजती है, यह इस गीत में बहुत खूबसूरती के साथ प्रतिबिंबित हुआ है।
रक्षाबंधन: छुआ-छूत, जात-पात से कहीं ऊपर है ये "रिश्ता प्यार का"
कुंअर बेचैन के इस गीत का भी आनंद लें।
बदरी
बाबुल
के
अंगना
जाइयो
जाइयो
बरसियो
कहियो
कहियो
के
हम
हैं
तोरी
बिटिया
की
अंखि्यां
कांटे
बिधी
है
मोरे
मन
की
मछरिया
मरुथल
की
हिरनी
हे
गयी
सारी
उमरिया
बिजुरी,
मैया
के
अंगना
जाइयो
जाइयो
तड़पियो
कहियो
कहियो
के
हम
हैं
तोरी
बिटिया
की
सखिया
बदरी
बाबुल
के
अंगना
जाइयो...
अब
के
बरस
राखी
भेज
ना
पाई
सूनी
रहेगी
मोरे
वीर
की
कलाई
पुरवा
भैया
के
अंगना
जाइयो
छू
छू
कलाई
कहियो
कहियो
के
हम
हैं
तोरी
बहना
की
रखिया
बदरी
बाबुल
के
अंगना
जाइयो..
जाइयो
बरसियो
कहियो
कहियो
के
हम
हैं
तोरी
बिटिया
की
अंखियां।