नोटबंदी के फैसले पर वनइंडिया का सबसे बड़ा सर्वे, क्या रहा जनता का जवाब...
वनइंडिया का ये सर्वे सबसे बड़ा ऑनलाइन पोल है। इसमें कुल 31198 लोगों ने हिस्सा लिया। लोगों ने इस पर खुल के अपने विचार रखे।
नई दिल्ली। मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले पर लोगों का क्या सोचना है इसको लेकर वनइंडिया ने एक सर्वे किया है। ये सर्वे वनइंडिया के अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, बंगाली और गुजराती सभी चैनलों की ओर से किया गया।
वनइंडिया सर्वे: नोटबंदी पर मोदी सरकार को मिला जनता का साथ, अधूरी तैयारियों पर जताई नाराजगी
सर्वे में मोदी सरकार को मिला जनता का साथ
वनइंडिया का ये सर्वे सबसे बड़ा ऑनलाइन पोल है। इसमें कुल 31198 लोगों ने हिस्सा लिया। लोगों ने इस पर खुल के अपने विचार रखे। चलिए देखते हैं सर्वे में नोटबंदी के फैसले को लेकर जनता का रुख क्या रहा...
नोटबंदी के फैसले पर वनइंडिया का सबसे बड़ा सर्वे, क्या रहा जनता का जवाब...
क्या आप सरकार के नोटबंदी के फैसले का समर्थन करते हैं?
मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले पर हमने सर्वे किया। इसमें सवाल किया गया कि क्या आप नोटबंदी पर सरकार का समर्थन करते हैं? इस पर पाठकों ने जमकर अपना पक्ष रखा।
इस सवाल के जवाब में तीन विकल्प दिए गए... हां, नहीं, कह नहीं सकते। इसके जवाब में 71.7 फीसदी लोगों 'हां' में जवाब दिया। वहीं 'नहीं' कहने वालों की संख्या 25.7 फीसदी थी। 'हां' के समर्थन में 22357 वोट पड़े। 'नहीं' के पक्ष में 8003 वोट पड़े। वहीं 835 लोगों ने 'कह नहीं सकते' को क्लिक किया।
क्या आपको लगता है सरकार ये फैसले एक पब्लिसिटी स्टंट है?
सर्वे
का
दूसरा
सवाल
था
क्या
आपको
लगता
है
कि
यह
निर्णय
कुछ
नहीं
बल्कि
एक
पब्लिसिटी
स्टंट
है?
इसके
जवाब
में
हमने
दो
विकल्प
दिए
पहला
विकल्प...
हां,
जरूर।
इससे
आम
आदमी
की
जिंदगी
कठिन
हो
गई
है।
दूसरा
विकल्प...
नहीं,
इससे
लंबी
अवधि
में
फायदा
मिलेगा
और
हमें
धैर्य
रखना
चाहिए।
जनता ने इस सवाल के दूसरे विकल्प पर भरोसा जताया है। 65.7 फीसदी लोगों ने 'नहीं' विकल्प को वोट दिया है। इस विकल्प को 20491 वोट मिले। जबकि 'हां' विकल्प को 34.3 फीसदी वोट मिले। 'हां' विकल्प को कुल 10695 वोट मिले।
2000 रुपये के नोट चलाने से हालात और नहीं बिगड़ेंगे?
तीसरे सवाल में हमने पूछा कि कालेधन पर लगाम के लिए 1000 रुपये के नोट पर रोक लगाई गई, लेकिन 2000 रुपये के नोट चलाने से हालात और नहीं बिगड़ेंगे? इसके जवाब में दो विकल्प दिए गए। पहला विकल्प...हां, 2000 रुपये के नोट को चलाने का निर्णय गलत है, इससे काला धन रखने वालों को लंबे अंतराल में फायदा मिलेगा। दूसरा विकल्प... नहीं, कालाधन वापस आने में लंबा समय लगेगा।
इस सवाल के जवाब में पहले विकल्प 'हां' को सबसे ज्यादा लोगों ने पसंद किया। इसके पक्ष में 51.7 फीसदी वोट पड़े। करीब 16127 लोगों ने इस विकल्प को चुना। वहीं दूसरे विकल्प 'नहीं' के पक्ष 48.3 फीसदी वोट पड़े। इसके पक्ष में 15067 लोगों ने वोट दिए।
क्या सरकार की तैयारी पूरी तरह आधी अधूरी थी?
सर्वे में सवाल किया गया कि क्या सरकार की तैयारी पूरी तरह आधी अधूरी थी? क्या नए नोट और ज्यादा छापने चाहिए थे? इसके जवाब में दो विकल्प दिए गए। पहला... हां, सरकार की तैयारियां आधी-अधूरी थी और अधिक नए नोट छापने चाहिए थे, दूसरा विकल्प था...ऐसा कुछ नहीं है, यह सही तरीका है।
जनता ने पहले विकल्प 'हां' को सबसे ज्यादा वोट दिए हैं। 59.3 फीसदी लोगों ने माना है कि हां, सरकार की तैयारी आधी-अधूरी थी। और नोट छापने चाहिए थे। इस विकल्प को कुल 18513 वोट मिले। वहीं दूसरे विकल्प 'नहीं' के पक्ष में 40.7 फीसदी वोट पड़े। 12683 लोगों ने इस विकल्प को क्लिक किया।
क्या आपको लगता है कि गोपनीयता बनाए रखने की वजह से इसके कार्यान्वयन में देरी हुई?
सर्वे में सवाल किया गया कि क्या आप मानते हैं कि इसे लागू करने की प्रक्रिया इसलिए धीमी रही, क्योंकि सरकार इसे गोपनीय रखना चाहती थी? इसके लिए दो विकल्प दिए गए। पहला... यह सरकार का एक बहाना है इसे तरीके से लागू करने का, दूसरा विकल्प...सरकार के पास इसे लागू करने के लिए कोई और चारा नहीं था। गोपनीयता तो बनाई रखनी ही थी।
लोगों ने दूसरे विकल्प को सबसे ज्यादा वोट दिए। दूसरे विकल्प के पक्ष में 64.2 फीसदी लोगों ने वोट दिए। इसके पक्ष 20040 लोगों ने वोट किए। वहीं पहले विकल्प को 35.8 फीसदी लोगों ने समर्थन दिया। इसके पक्ष में 11154 लोगों ने वोट दिए।
आम आदमी को नोटबंदी से कैसे लाभ पहुंचा?
इस सवाल के जवाब में दो विकल्प दिए गए। पहला विकल्प...इससे आम आदमी को कोई लाभ नहीं पहुंचा, इससे बस बैंकों के बाहर लाइनें लंबी होती गई। दूसरा विकल्प इससे फायदा पहुंचेगा, लेकिन अभी नहीं, लंबे समय में।
सर्वे में लोगों ने दूसरे विकल्प को सबसे ज्यादा वोट दिए हैं। 59.3 फीसदी लोगों ने इसके पक्ष में वोट दिए। इसे कुल 18503 वोट मिले हैं। वहीं दूसरे विकल्प को 40.7 फीसदी वोट पड़े। इस विकल्प के पक्ष में 12691 वोट पड़े।
क्या इस कदम से काला धन पूरी तरह से खत्म हो जाएगा?
सर्वे का अगला सवाल था क्या इस कदम से काला धन पूरी तरह से खत्म हो जाएगा? इसके जवाब में दो विकल्प दिए गए। पहला विकल्प था... 2000 के नोटों के संचालन से काला धन बढ़ेगा, वहीं दूसरा विकल्प था...हां, इस क्षेत्र में ये एक बड़ा कदम है।
इसके जवाब में लोगों ने दूसरे विकल्प को पसंद किया है। दूसरे विकल्प को 54.3 फीसदी वोट मिले। इसके पक्ष में 16927 वोट पड़े। वहीं पहले विकल्प को 45.7 फीसदी वोट पड़े। इसके पक्ष में 14267 वोट पड़े।
क्या आपको लगता है कि सरकार फेल हो गई है?
सर्वे का अगला सवाल था क्या आपको लगता है कि सरकार फेल हो गई है और उसे ये फैसला वापस ले लेना चाहिए? इसके जवाब में दो विकल्प दिए गए। पहला विकल्प था... हां, क्योंकि आम आदमी दिक्कतों को झेल रहा है। दूसरा विकल्प था...नहीं, इस निर्णय को जारी रखना चाहिए।
इस सवाल के जवाब में लोगों ने दूसरे विकल्प को पसंद किया है। दूसरे विकल्प 'नहीं' के पक्ष में 70.4 फीसदी वोट पड़े। इस विकल्प को 21947 वोट मिले। वहीं 'हां' विकल्प के पक्ष में 29.6 फीसदी वोट पड़े। इस विकल्प में 9247 वोट मिले।
आम आदमी जिन समस्याओं से परेशान हो रहा इसका जिम्मेदार आप किसे मानते हैं?
सर्वे के अगले सवाल में हमने पूछा कि आम आदमी जिन समस्याओं से परेशान हो रहा इसका जिम्मेदार आप किसे मानते हैं? इसके लिए तीन विकल्प दिए गए। पहला...सरकार, दूसरा...बैंक और तीसरा विकल्प...आरबीआई।
इस सवाल के जवाब में लोगों ने सरकार को सबसे ज्यादा जिम्मेदार बताया है। पाठकों ने 'सरकार' विकल्प के पक्ष में 50.1 वोट दिए। इसे कुल 15646 वोट मिले। दूसरे नंबर पर आरबीआई की जिम्मेदार ठहराया गया। 29.8 फीसदी लोगों ने आरबीआई के पक्ष में वोट डाला, कुल 9317 लोगों ने इसके पक्ष में वोट दिया। तीसरे नंबर आरबीआई विकल्प रहा। 20.1 फीसदी लोगों ने इस विकल्प को चुना। इसके पक्ष में 6263 वोट पड़े।
क्या आपको पीएम मोदी पर भरोसा है जो उन्होंने कहा कि दिसंबर तक स्थिति में सुधार आएगा?
सर्वे का अगला सवाल था कि क्या आपको पीएम मोदी पर भरोसा है जो उन्होंने कहा कि दिसंबर तक स्थिति में सुधार आएगा? इसके जवाब में दो विकल्प दिए गए। पहला विकल्प था...नहीं, मैं नहीं मानता, वह अब भी समय मांग रहे हैं। दूसरा विकल्प...हां, परिस्थितियां सुधरेंगी।
इस सवाल के जवाब में लोगों ने दूसरे विकल्प को चुना है। दूसरे विकल्प को 64 फीसदी लोगों ने अपना समर्थन किया है। इस विकल्प के पक्ष में 19966 वोट पड़े हैं। वहीं पहले विकल्प को महज 36 फीसदी वोट मिले हैं। इसे 11232 वोट मिले हैं।
आने वाले विधानसभा चुनावों में नोटबंदी का क्या प्रभाव पड़ेगा?
सर्वे के अगला सवाल था कि आने वाले विधानसभा चुनावों में नोटबंदी का क्या प्रभाव पड़ेगा? इसके लिए तीन विकल्प दिए गए। पहला विकल्प... भाजपा चुनाव हार जाएगी, दूसरा विकल्प...भाजपा को इसका लाभ मिलेगा, तीसरा विकल्प...जनता की याददाश्त बहुत कम होती है, यह मुद्दा नहीं बनेगा।
सर्वे में पाठकों ने तीसरे विकल्प यानी 'जनता की याददाश्त बहुत कम होती है' को सबसे ज्यादा वोट किए हैं। इस विकल्प को 42.8 फीसदी वोट मिले हैं। इसके पक्ष में 13352 वोट पड़े हैं। वहीं दूसरा विकल्प भाजपा को फायदा होगा दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा वोट मिले हैं। इसके पक्ष में 36.9 फीसदी वोट पड़े हैं। 11514 वोट इस विकल्प को मिले हैं। वहीं भाजपा चुनाव हार जाएगी, इस विकल्प को सबसे कम वोट पड़े हैं। इस विकल्प को 20.3 फीसदी वोट मिले हैं। 6331 वोट इस विकल्प को मिले हैं।