भाजपा के ‘गुरु’ की भूमि मथुरा, इसलिए मोदी ने चुनी कृष्णभूमि
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) भाजपा के लिए मथुरा की बेहद खास अहमियत है। उसके सबसे बड़े चिंतक दीन दयाल उपाध्याय का संबंध इसी मथुरा से है। यहां के नगला चंद्रभान क्षेत्र में ही उनका जन्म हुआ था। और मथुरा कृष्ण भूमि तो है ही, इसे कौन नहीं जानता। इसलिए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का इधर से अपनी सरकार के एक साल पूरा होने की पूर्व संध्या पर जनता को संबोधित करने का सांकेतिक मतलब है।
भाजपा के लिए खास
मोदी चाहते तो कहीं से भी अपनी बात रख सकते थे। पर मथुरा का उसके लिए एक विशेष स्थान है। हालांकि एक दौर में मथुरा से चौधरी चरण सिंह की पत्नी लोकसभा में कई बार गई। चौधरी साहब के पोते जयंत सिंह भी निर्वाचित हुए।
हिन्दुओं का पवित्र स्थान
पर इस मथुरा का भूमि का अलग संबंध समूचे देश के हिन्दुओं से भी है। इसलिए भाजपा और मोदी ने बहुत सोच-समझ कर यहां से अपनी बात रखने का फैसला किया होगा।
मोदी के मन में सम्मान
जानकारों का कहना है कि मोदी ने खासतौर पर इस जगह को चुना। उसके पीछे इस स्थान का पंडित दीन दयाल उपाध्याय से संबंध होना भी खास था। दीनदयाल उपाध्याय के प्रति मोदी के मन में अगाध सम्मान का भाव है। दरअसल पूरी भाजपा के वे चिंतक थे।
अटल के गुरु
हो सकता है कि गैर-भाजपाइयों को इस जगह की अहमियत का ना पता हो पर भाजपा के सीनियर नेता तो दीन दयाल उपाध्याय के कारण इधर आते रहे हैं। करीब दस साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी भी उपाध्यायजी के पुश्तैनी घर में आए थे। उपाध्याय जी तो अटल जी के भीगुरु थे।
भाजपा को लंबे समय से फोलो करने वाले पत्रकार प्रदीप सौरभ कहते हैं कि भाजपा उन स्तानों को अब खासतौर पर महत्व दे रही है,जो उसे बड़े नेताओं से जुड़े रहे। ये अपने आप में एक अच्छी बात है। अफसोस कि दीनदयाल उपाध्याय जी देश राष्ट्रवादी नेता थे। पर कांग्रेस सरकारों के दौर में उन्हें उनका कभी जायज हक नहीं मिला।
हेमा मालिनी करें विकास
बहरहाल, अब भाजपा को मथुरा जैसे इलाकों का चौतरफा विकास भी करना होगा। इधर पर्यटन के क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं हैं। भाजपा की मथुरा से सांसद हेमा मालिनी को इस क्षेत्र के विकास के लिए दिन-रात काम करना होगा। अभी तो वे संसद सत्र खत्म होते ही मायानगरी चली जाती हैं। उन्हें मथुरा के गांवों की खाक छाननी होगी।