नासिक कुंभ मेला में हुआ पहला स्नान, जानें क्या है महत्व
नासिक।
नासिक-त्रियंबकेश्वर
में
सिंहस्थ
कुंभ
मेला
चल
रहा
है,
जिसमें
रक्षाबंधन
की
पूर्णिमा
के
दिन
पहला
शाही
स्नान
हुआ।
इस
मौके
पर
लाखों
लोगों
ने
डुबकी
लगाई।
इसका
नासिक
दंदकर्ण्य
का
भाग
है।
कहां
जाता
है
कि
भगवान
राम
वनवास
के
दौरान
यहां
रहे
थे।
वहीं त्रियंबकेश्वर में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक स्थापित है। गोदावरी नदी ब्रह्मगिरि पहाड़ियों से नकलती है और यहीं से गुजरती है। इस कुंभ में वैश्णव अखाड़ा और शैवा अखाड़ा अलग-अलग स्नान करते हैं। जबकि प्रयाग, हरिद्वार और उज्जैन में साथ में।
ज्योतिषीय महत्व
कुंभ की तिथि सूर्य एवं ग्रहों एवं नक्षत्रों की स्थिति पर निर्भर करती है। वेदों के अनुसार सूर्य जीवन का स्रोत है और चंद्रमा मस्तिष्क का ध्योतक। ब्रहस्पति सभी भगवानों के गुरु हैं। प्रत्येक बारह साल पर ब्रहस्पति अपना राशि परिवर्तन करता है और इसीलिये प्रत्येक स्थान पर कुंभ का आयोजन 12 साल पर किया जाता है।
महत्वपूर्ण तिथियां
14
जुलाई
2015
:
रामकुंड
में
ध्वजारोहण
19
अगस्त
2015
:
साधुग्राम
में
अखाड़ों
का
ध्वजारोहण
26
अगस्त
2015
:
श्रावण
साधु
प्रथम
स्नान
29
अगस्त
2015
:
पहला
शाही
स्नान
13
सितंबर
2015
:दूसरा
शाही
स्नान
18
सितंबर
2015
:
तीसरा
शाही
स्नान
25
सितंबर
2015
:
भाद्रपद
शुक्ल
द्वादशी-
वामन
द्वादशी
स्नान