क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

सौ साल की हुई पहली डबल रोल फ़िल्म

जब 'लंका दहन' में आदमी ने ही औरत का किरदार निभाया.

By राखी शर्मा - बीबीसी संवाददाता
Google Oneindia News
Anna Salunke
CHANDRAKANT PUSALKAR
Anna Salunke

सौ साल पहले जब कैमरे के पास डबल रोल प्रस्तुत करने जैसी तकनीक नहीं थी, उस समय में एक फ़िल्म ने डबल रोल को अंजाम दिया, वो भी एक अलग अंदाज़ में.

ये फ़िल्म थी 1917 में आई 'लंका दहन'. रामायण के सुंदर कांड पर आधारित धुंधीराज गोविंद फाल्के यानी दादा साहेब फाल्के की इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार अन्ना सालुंके थे.

अन्ना ने इस फ़िल्म में राम और सीता दोनों के किरदार निभाए. किसी भारतीय फ़िल्म में डबल रोल की शुरुआत करने वाले सालुंके पहले भारतीय कलाकार थे.

दादा साहेब फाल्के की अनदेखी तस्वीरें

फ़िल्म समीक्षक पवन झा बताते हैं, "दादा साहेब फ़िल्म में सीता के किरदार के लिए किसी महिला कलाकार की तलाश कर रहे थे. लेकिन उस ज़माने में महिलाओं का फ़िल्मों में काम करना बुरा समझा जाता था, इसलिए महिलाओं के किरदार भी पुरुष ही निभाया करते थे."

dada saheb phalke
CHANDRAKANT PUSALKAR
dada saheb phalke

सालुंके इससे पहले दादा साहेब की फिल्म राजा हरीशचंद्र में तारामति का किरदार निभा चुके थे. उस किरदार से उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई थी कि फाल्के साहब को उन्हें सीता के रूप में कास्ट करना ही पड़ा.

वो ख़त...और दादा साहेब फाल्के की मौत

1914 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फ़िल्मों का कारोबार धीमा पड़ गया था. ऐसे में जब लंका दहन 1917 में रिलीज़ हुई तो दर्शकों ने इसे हाथों हाथ लिया. सालुंके के स्टारडम के बारे में पवन कहते हैं, "सालुंके को उस दौर का सुपरस्टार कहा जा सकता है क्योंकि लोग राम और सीता के रूप में फिल्मी पर्दे पर उनके दर्शन के लिए ही आते थे."

उस वक्त के फिल्ममेकर होमी वाडिया ने सालुंके को सीता के रूप में देखकर मज़ाकिया अंदाज़ में कहा था कि फाल्के साहब की हीरोइन्स के बाइसेप्स हैं. सालुंके उस ज़माने के सबसे लोकप्रिय अभिनेता और अभिनेत्री दोनों थे.

dada saheb phalke
CHANDRAKANT PUSALKAR
dada saheb phalke

कमाई के मामले में भी ये फ़िल्म काफी आगे रही. पवन बताते हैं, "इस फ़िल्म का कलेक्शन सिनेमा हाल से बैलगाड़ी में भरकर भेजे जाते थे. करीब दस दिन में ही इस फ़िल्म ने 35 हज़ार रुपये कमाए थे जो उस ज़माने में बड़ी रकम थी."

दादा साहेब फाल्के का जीवन

इस फ़िल्म से पहले दादा साहब फाल्के के पास ओपन एयर स्टूडियो था. लेकिन इस फ़िल्म ने इतनी कमाई कर डाली थी कि दादा साहेब ने एक शानदार स्टूडियो बना लिया. कह सकते हैं कि इस फ़िल्म की कमाई ने भविष्य की भारतीय फ़िल्मों की नींव रखी.

हिंदी सिनेमा दो माध्यमों से प्रेरित होता रहा है- साहित्य और रंगमंच. दोनों में ही डबल रोल को प्रस्तुत करना मुश्किल था. फ़िल्मों में डबल रोल, पूरी तरह से कैमरा का खेल रहा है. फिर चाहे फ़िल्म 'गोपी-किशन' में 'मेरे दो-दो बाप' वाला सीन याद कर लीजिए, या 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' में तनु और कुसुम का आमना-सामना.

dHOOM 3
Yashraj Films
dHOOM 3

100 वर्षों में डबल रोल के कॉन्सेप्ट को अलग-अलग ढंग से दर्शकों के सामने पेश किया गया है.

1. फ़िल्मों में भाई-भाई या बहन-बहन को ध्यान में रखकर रचे गए डबल रोल. जैसे राम और श्याम, सीता और गीता, चालबाज़, जुड़वा, धूम-3.

2. हमशक्ल वाली जुड़वा फ़िल्में. जैसे कसमे वादे, सच्चा-झूठा, छोटे-मियां बड़े मियां, हमशक्ल्स.

3. एक ही कलाकार द्वारा किए हीरो और विलेन के डबल किरदार वाली फ़िल्में. जैसे, डुप्लीकेट, डॉन, फैन.

4. कहानी को डबल रोल के तौर पर प्रस्तुत करने वाली फ़िल्में, जिनमें अंत में किरदार एक ही रहा. जैसे ज्वैल थीफ़.

Seeta aur Geeta
G.P.Sippy
Seeta aur Geeta

कुछ फिल्में ऐसी भी रही जिसमें बजट के चलते या शूटिंग के दौरान आई परेशानी की वजह से मजबूरी में एक ही कलाकार ने दो किरदार निभाए.

जैसे फिल्म 'शोले' में मुश्ताक ख़ान एक सीन में पारसी और दूससे सीन में रेल इंजन के ड्राइवर बन गए.

BBC Hindi
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
first bollywood double role film 100 years old now
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X