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बडगाम फायरिंग: सिर्फ तीन हफ्तों में सेना ने पूरी की इंक्‍वाॅयरी

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श्रीनगर। गुरुवार को सबकी नजरें एक ऐसे फैसले पर लगी हुई थी जो घाटी में सेना को या तो नई ताकत दे सकता था या फिर उसे आतंकियों के खिलाफ कमजोर कर सकता था। लेकिन सिर्फ तीन हफ्तों में इंक्‍वायरी पूरी कर भारतीय सेना ने साबित कर दिया है कि न तो इंसाफ में उससे देर होगी और न ही किसी के साथ कोई नाइंसाफी की जाएगी।

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सेना के अहसानमंद परिवारवाले

नवंबर के शुरुआती दिनों में घाटी में सर्दियों का आगाज हो चुका था, उसी समय एक ऐसा हादसा हो गया जिसने सेना के लिए भी माहौल को और सर्द और तल्‍ख बना डाला। बडगाम के छत्‍तरपुर इलाके में चेकपोस्‍ट तोड़ कर भागती मारुति कार पर सेना के जवानों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। कार में सवार दो लड़कों की गोली लगने से मौत हो गई। घाटी में सेना के विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और हर कोने से उसके खिलाफ आवाजें उठने लगीं।

गुरुवार को सेना ने अपना फैसला सुनाया तो घाटी में 'थैंक्‍यू' की आवाज भी सुनाई दी। सेना ने एक जेसीओ के साथ ही नौ जवानों को दोषी ठहराकर कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही। इस पर मारे गए लड़कों में से एक लड़के के पिता मोहम्‍मद युसूफ ने इस बारे में कहा, 'मैं सेना और लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा का शुक्रिया अदा करता हूं। मैं उनका अहसानमंद रहूंगा कि उन्‍होंने सिर्फ तीन हफ्तों में इंक्‍वॉयरी पूरी कर ली।'

मोहम्‍मद यूसुफ ने कहा कि वह सिर्फ इस बात के लिए सेना के अहसानमंद रहेंगे कि उन्‍होंने सिर्फ तीन हफ्तों में इंक्‍वायरी पूरी कर डाली। लेकिन उन्‍हें इस बात का अफसोस भी है कि अभी तक सरकार की ओर से कोई भी उनसे मिलने नहीं आया।

क्‍या था मामला

कश्‍मीर के बडगाम में तीन नवंबर को छत्‍तेरगाम इलाके से एक मारुति कार तेज रफ्तार से गुजर रही थी। इस कार को दो बार पहले चेकपोस्‍ट पर रोकने की कोशिश की गई थी लेकिन कार नहीं रुकी। इसके बाद सेना की ओर से कार पर फायरिंग हुई और इस हादसे में दो लड़कों की मौत हो गई थी। हादसे को सेना की ओर से सात नवंबर को 'मिस्‍टेकन आईडेंटिटी' करार दिया गया।

इसके बाद नॉर्दन आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने भरोसा दिलाया था कि सेना की ओर से आरोपियों पर सख्‍त कार्रवाई की जाएगी। सिर्फ इतना ही नहीं इलाके से राष्‍ट्रीय राइफ्ल्‍स की यूनिट को वहां से हटा दिया गया।

बाढ़ ने बदली थी तस्‍वीर

निश्चित तौर सेना का यह फैसला घाटी में सेना की उस छवि को बदलने में मदद करेगा जो 90 के दशक में बनी थी। 90 के दौर में जब घाटी में चरमपंथ अपने पूरे शबाव पर था तो सेना पर दुव्‍यर्वहार के आरोप लगे थे। सितंबर में

जब घाटी भीषण बाढ़ का सामना कर रही थी, तब सेना और सुरक्षाबलों ने आगे आकर लोगों को बचाने का जिम्‍मा लिया। सेना की कोशिशों का नतीजा था कि करीब डेढ़ लाख लोगों को बचाया जा सका।

यहां हम आपको याद दिलाना चाहेंगे कि जून 2010 में जब सुरक्षाबलों की ओर से हुई फायरिंग में एक लड़के की मौत हो गई थी तो पूरी कश्‍मीर घाटी में अगले छह महीने पत्‍थरबाजी की वजह से कामकाज ठप्‍प हो गया था।

English summary
Father of one of the two youths killed in Budgam firing incident expresses gratitude to the Army.
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