भारत में जनहित याचिका के जनक जस्टिस पीएन भगवती नहीं रहे
जस्टिस पीएन भगवती उस समय चर्चा में आए थे जब उन्होंने भारत में जनहित याचिका पेश की थी। बाद में यह जनहित याचिका देश में बदलाव लाने का अहम साधन बना।
नई दिल्ली। भारत की न्याय व्यवस्था में जनहित याचिका को लाकर बड़ा योगदान देने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस पीएन भगवती का 95 साल की अवस्था में निधन हो गया। जस्टिस भगवती भारत के सतरहवें मुख्य न्यायधीश थे।
जस्टिस पीएन भगवती के परिवार में उनकी पत्नी प्रभावती भगवती और तीन बेटियां हैं। 17 जून को उनका दाह संस्कार किया जाएगा।
जस्टिस पीएन भगवती उस समय चर्चित हुए जब वे भारत की न्याय व्यवस्था में जनहित याचिका का विचार लेकर आए थे। बाद में यह जनहित याचिका (PIL) देश में बदलाव लाने के लिए ज्यूडिशियल एक्टिविज्म यानि न्यायिक सक्रियता का अहम साधन बना। भगवती जुलाई 1985 से लेकर दिसंबर 1986 तक भारत के चीफ जस्टिस पद पर रहे। इससे पहले वे गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे। जुलाई 1973 में उनको सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जस्टिस पीएन भगवती के निधन पर शोक जताया है और कहा है कि वे भारत के न्यायिक व्यवस्था के बड़े दिग्गज थे।
The demise of Justice PN Bhagwati is saddening. He was a stalwart of India's legal fraternity. My deepest condolences.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 15, 2017
Justice PN Bhagwati's remarkable contributions made our judicial system more accessible & gave voice to millions.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 15, 2017
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी जस्टिस पीएन भगवती के निधन पर दुख जताते हुए ट्विटर पर लिखा, 'मैं चीफ जस्टिस पीएन भगवती के निधन का समाचार पाकर दुखी हूं। वह जनता के न्यायधीश थे।'
I am sorry to know about the sad demise of Chief Justice P.N.Bhagwati. He was People's judge. My condolences to the bereaved family.
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) June 15, 2017