फ़ारुक़ के पिता ने कहा, बेटे के अधूरे काम को मैं पूरा करूंगा
एक नास्तिकवादी संगठन से जुड़े कार्यकर्ता की हत्या के बाद उनके पिता ने बीबीसी से बात की.
"इस्लाम किसी को मारने की इजाज़त नहीं देता. उनको भी नहीं जो ख़ुदा को ना मानते हों."
कोयबंटूर में एक नास्तिकवादी ग्रुप से ताल्लुक रखने वाले फ़ारुक़ के पिता हमीद ने बीबीसी तमिल से बातचीत में ये कहा है.
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फ़ारुक, द्राविड़र विडुतलई कलगम (डीवीके) नाम के एक ग्रुप के कार्यकर्ता थे. ये ग्रुप नास्तिकवादी परंपरा का प्रचार करता था यानी इस संगठन के कार्यकर्ता ईश्वर या अल्लाह में विश्वास नहीं रखते हैं.
16 मार्च को फ़ारुक के घर के पास ही उनकी हत्या कर दी गई. कथित तौर पर उनकी हत्या की वजह उनके विचार थे. ख़बरों के मुताबिक़ धार्मिक कट्टरपंथी उनके क़त्ल के पीछे हैं.
फ़ारुक़ के पिता ने कहा कि अब वो अपने बेटे की मुहिम को आगे बढ़ाएंगे और उनके अधूरे काम को पूरा करेंगे.
वो कहते हैं, "मैंने भावनाओं में बहकर ये फ़ैसला नहीं लिया है. मैंने सोच समझकर ये तय किया है. अपने बेटे की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए मैं प्रतिबद्ध हूं."
हालांकि फ़ारुक़ की मां यानी हमीद की पत्नी उनके इस फ़ैसले से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखतीं.
फ़ारुक़ अल्लाह में विश्वास नहीं रखने वाले एक संगठन के सदस्य थे इस पर उनके रिश्तेदारों की किस तरह की प्रतिक्रिया थी. इस पर हमीद ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
उन्होंने इन ख़बरों का भी खंडन किया कि उनका बेटा पैगंबर मोहम्मद पर कोई पब्लिकेशन शुरू करने वाला था.
वो कहते हैं, "मैं किसी से नहीं डरने वाला. मैं डीवीके के साथ काम करता रहूंगा."