अरविंद केजरीवाल की ''मौनसमाधि'' के पीछे ये है ''सीक्रेट प्लान''
जरा-जरा सी बात पर दिल्ली की सर्द रातों में खुलेआम सड़क पर धरना देने वाले अरविंद केजरीवाल बीते कई महीनों से ''लाइट- कैमरा-एक्शन'' से दूर हैं।
नई दिल्ली। जरा-जरा सी बात पर दिल्ली की सर्द रातों में खुलेआम सड़क पर धरना देने वाले अरविंद केजरीवाल बीते कई महीनों से ''लाइट- कैमरा-एक्शन'' से दूर हैं। पंजाब और गोवा चुनाव में करारी हार के बाद अपने घर दिल्ली में मिली घनघोर हार से दिल ऐसा टूट गया है कि केजरीवाल साहब कैमरे के सामने आने को तैयार नहीं हैं।
आखिर क्या है केजरीवाल की चुप्पी का राज
राष्ट्रपति चुनाव, उपराष्ट्रपति चुनाव, बिहार में सत्ता परिवर्तन, मोदी का इजरायल दौरा, चीन-भारत टकराव पर उन्होंने कोई राय नहीं दी। पीएम मोदी से भी आजकल कोई सवाल नहीं पूछ रहे हैं। उनका ट्विटर अकाउंट वीरान पड़ा है। वेबसाइट भी बदल गई है। अब आम आदमी पार्टी की साइट पर डोनर्स लिस्ट नहीं दिखती है। न कोई जनता दरबार और न ही भ्रष्टाचार के लिए कोई दावे। आखिर केजरीवाल इन दिनों कर क्या रहे हैं? कहीं पूरा फोकस खांसी ठीक करने पर तो नहीं? या कोई नई रणनीति बन रही है? आखिर माजरा है क्या, चलिए आपको बताते हैं केजरीवाल का ''सीक्रेट प्लान''....
चुप्पी के पीछे हैं कई कारण
विधानसभा चुनाव हारना : गोवा और पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने काफी मेहनत की थी, लेकिन पार्टी को इसका रिजल्ट अच्छा नहीं मिला। अरविंद केजरीवाल की पार्टी को दोनों ही राज्यों में हार का सामना करना पड़ा।
दिल्ली में गंवाई जमीन : गोवा और पंजाब के बाद हार ने केजरीवाल का दामन दिल्ली में भी नहीं छोड़ा। दिल्ली में बहुमत की सरकार होने के बाद भी आम आदमी पार्टी यहां अपनी जमीन नहीं बचा पाई और निगम चुनाव में औंधे मुंह गिर पड़ी।
घर में कलह : चुनावी हार के बाद से ही आम आदमी पार्टी में कलह शुरू हो गया। पहले दिल्ली के विधायक कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर गंभीर आरोप लगाए। वहीं, उनके बाद, पार्टी की स्थापना से केजरीवाल के साथ जुड़े कुमार विश्वास ने भी पार्टी से अलग अपने राग छेड़ दिए। पार्टी के इस कलह के कारण केजरीवाल की काफी किरकिरी हुई।
ईवीएम आरोप : हार की हताशा में केजरीवाल ने ईवीएम पर आरोप का दांव खेला लेकिन उन्हें इससे कोई खास फायदा नहीं हुआ। उनके साथ अन्य पार्टियों ने भी ईवीएम के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगाए, लेकिन किसी का भी आरोप सिद्ध न हो सका।
ईडी और सीबीआई के छापे : दिल्ली के विधायकों के घर ईडी और सीबीआई के छापों ने आम आदमी पार्टी की छवि पर काफी चोट किया। इसके कारण पार्टी और केजरीवाल की साफ छवि धूमिल होती नजर आने लगी।
अब ये है केजरीवाल एंड पार्टी का नया मंत्रा
पीएम मोदी ने पिछले कुछ सालों से एक के बाद एक चुनाव जीते हैं। केजरीवाल को यह समझ आ रहा है कि जनता तक नरेंद्र मोदी का संदेश उनसे बेहतर पहुंच रहा है। ऐसे में सीधे मोदी को चुनौती देने का मतलब है कि जनता की नजर में बेवजह ''विलेन'' बन जाना। दूसरा पार्टी घर में घिरी है, जैसे मीडिया में केजरीवाल कुछ कहते हैं, वैसे ही पार्टी अंदर की बातें-मतलब आम आदमियों के टेप सामने आते हैं। आम आदमी पार्टी के कई नेता भ्रष्टाचार, सेक्स स्कैंडल और फर्जी डिग्री मामलों में फंसे हैं। ऐसे में बेदाग होकर भ्रष्टाचार के खिलाफ इकलौते ''मसीहा'' की जो छवि केजरीवाल की 2011 के बाद बनी थी, वो अब टूटी है। ऐसे में चुप रहकर चुनावी तैयारियां करने का समय है और केजरीवाल को इसी में पार्टी की भलाई नजर आ रही है।
क्या केजरीवाल ने बदल ली है अपनी रणनीति
केजरीवाल ने अपने रणनीति को बदला और वापस दिल्ली विधानसभा लौट आए। उन्हें अपनी गलतियों का अहसास हो गया कि उन्हें जल्दबाजी में दिल्ली को छोड़कर अन्य राज्यों की ओर नहीं बढ़ना चाहिए। इन दिनों उन्होंने अपने सीएम होने के कर्तव्यों को निभाने ही बेहतर मान लिया है। वह मोदी और केंद्र सरकार पर आरोप न लगाकर दिल्ली के विकास के लिए काम में व्यस्त मालूम हो रहे हैं।