Exclusive: आतंकवाद पर पाक की खराब नीतियों का खामियाजा भुगत रही दुनिया
बैंगलोर। [ऋचा बाजपेई] मंगलवार को पेशावर में हुए आतंकी हमले के बाद पूरी दुनिया ने इस हमले की निंदा की लेकिन वहीं अब यह आवाजें भी उठने लगी हैं कि पाक ने अपने यहां पर आतंकी गतिविधियों को पनाह दी है, जिसकी वजह से उसे यह दिन देखना पड़ा है।
यूरोपियन संसद और यूरोपियन यूनियन के सदस्य और यूरोपियन मूवमेंट के प्रेसीडेंट जो लाइनेन आर्ट ऑफ लिविंग के एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बेंगलुरु आए तो वनइंडिया ने उनसे आतंकवाद और इस पर पाक के रवैये के बारे में खास बातचीत की। उन्होंने साफ कहा कि पाक की नीतियां काफी कमजोर हैं।
नरेंद्र मोदी से हैं बड़ी उम्मीदें
जो से हमने पूछा कि क्या वह इस बात को महसूस करते हैं कि बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न सिर्फ भारत को बल्कि पूरी दुनिया को बहुत उम्मीदें हैं। वह कहते हैं कि हाल ही में उन्हें एक न्यूजपेपर की ओर से पॉलिटिशन ऑफ द इयर चुना गया है।
जो मानते हैं कि मोदी भारत को कई क्षेत्रों में जिसमें आर्थिक और राजनीति क्षेत्र भी शामिल हैं, आधुनिक तौर पर परिवर्तन ला सकेंगे। जो कहते हैं कि अभी यह कहना कि मोदी एक ग्लोबल लीडर हैं या उनमें ग्लोबल लीडर बनने की संभावनाएं हैं, थोड़ा जल्दबाजी होगी। लेकिन देखते हैं कि वह किस तरह से उम्मीदों को पूरा कर पाते हैं।
न हो न्यूक्लियर वॉर, इसकी जिम्मेदारी पाक पर
जो का नाम सिर्फ ईयू के साथ ही नहीं है बल्कि वह व र्ष 1980 में शुरू हुए पीस मूवमेंट और एंटी-न्यूक्लियर मूवमेंट का भी हिस्सा रहे हैं। ऐसे में हमने उनसे जानने की कोशिश की क्या उन्हें लगता है कि आईएसआईएस की वजह से दुनिया एक न्यूक्लियर वॉर के मुहाने पर खड़ी है? इस पर उनका जवाब था कि इसकी एक बड़ी जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है क्यों कि आईएसआईएस को न्यूक्लियर हथियार बनाने संबंधी सारा सामान पाक से मिलता है।
वह मानते हैं कि अतंराष्ट्रीय समुदास को इस ओर काफी चौकन्ना रहना होगा। साथ ही साथ हमें इस बात की प्रार्थना करनी चाहिए कि इस संगठन के हाथ न्यूक्लियर वेपेंस न लगें। अगर ऐसा हुआ तो फिर एक बड़ी मुसीबत आ सकती है।
आतंकवाद पर पाक की ' कमजोर' नीति
वहीं उन्होंने इस बात से भी इंकार नहीं किया कि आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की नीति काफी कमजोर और अप्रभावशाली है। पाक में सत्ता के कई केंद्र हैं जिसमें आईएसआई और सेना काफी अहम हैं।
ऐसे में आतंक के खिलाफ लड़ाई में पाक किस हद तक सफल हो सकेगा, इस पर थोड़ा संदेह है। आपको पता ही नहीं लग पाता है कि सत्ता किसके हाथ में है। आपको कभी-कभी समझ नहीं आता है कि आप बात किससे करें। लेकिन फिर भी ईयू मानता है कि भारत और पाकिस्तान को बातचीत के जरिए इस मसले को सुलझाना होगा।
ब्लादीमिर पुतिन की भारत यात्रा से चिंतित ईयू
पिछले दिनों जब रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन भारत आए तो यूक्रेन के साथ ही साथ यूरोपियन यूनियन ने भी नाराजगी जाहिर की थी। इस बारे में जब हमने जो से बात की तो उनका कहना था कि ईयू ने इस बात पर काफी गौर किया कि भारत में पुतिन का काफी गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया है।
जो इस बात को लेकर भी आश्वस्त नजर आए कि मोदी ने पुतिन के सामने यह बात जरूर रखी होगी कि यूक्रेन में जो कुछ भी चल रहा है वह गलत है। वह मानते हैं कि भारत और रूस के बीच पिछले कई वर्षों से पुराने संबंध हैं। इन सबके बावजूद पुतिन के स्वागत को ईयू सही नहीं ठहरा सकता है।
क्लाइमेट कंट्रोल और चीन-भारत
क्लाइमेट कंट्रोल जैसे मुद्दे पर भी जो अपने विचार कई बार जाहिर कर चुके हैं और ऐसे में हमने जानने की कोशिश की कि दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले दो देश क्या इसमें कोई योगदान कर सकते है ?
उन्होंने कहा कि भारत और चीन दुनिया के दो सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश हैं और काफी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और ऐसे में गैस इमीशन भी तेजी से बढ़ रहा है।
जो को उम्मीद है कि दोनों ही देशों के पास कोई ऐसा नेशनल क्लाइमेट प्रोटेक्शन प्लान होगा जो तहत क्लाइमेट फ्रेंडली और क्लाइमेट प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा मिल सकेगा।