Exclusive: जेद्दा में 800 भारतीयों से बेखबर सुषमा और वीके सिंह!
नई दिल्ली, (ऋचा बाजपेई)। सऊदी अरब के जेद्दा में इस समय करीब 10,000 भारतीय उन दिन का इंतजार कर रहे हैं कि जब वह अपने वतन वापस लौट सकेंगे। इन्हीं 10 हजार भारतीयों में से एक हैं उत्तर प्रदेश के कुशीनगर स्थित पडरौना के रहने वाले रूस्तम आजाद।
फेसबुक पर किया संपर्क
रूस्तम ने वनइंडिया को फेसबुक पर मैसेज करके जेद्दा में उन मुश्किल दिनों की दास्तां बयां की है जो तमाम भारतीय पिछले करीब छह माह से झेलने को मजबूर हैं। आजाद की मानें तो भारतीय सरकार ने अपनी मदद को जेद्दा में सिर्फ कुछ लोगों तक ही सीमित रखा है और उन जैसे तमाम लोगों तक सरकार तो छोड़िए दूतावास के भी किसी अधिकारी ने मुलाकात नहीं की है।
'वीके सिंह से मिलने के लिए पैसा नहीं है'
रूस्तम आजाद इनमा यूटिलिटीज के लिए काम करते हैं। यह कंपनी जेद्दा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जुड़े कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के अलावा कुछ और दूसरे प्रोजेक्ट्स को भी देखती है।
आजाद से हमारा पहला सवाल था कि पिछले हफ्ते तो विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह जेद्दा पहुंचे हैं। उन्होंने कुछ भारतीयों से भी कैंप में मुलाकात की।
हमने पूछा कि क्या सिंह ने उनसे मुलाकात नहीं की? इस पर आजाद का जवाब था, 'हमारी जेब में अगर पैसे होते तो हम भी वीके सिंह से मिल सकते थे।'
थोड़ा और पूछने पर उन्होंने बताया कि वीके सिंह सिर्फ एक ही कंपनी के कैंप में गए और वहां पर मौजूद भारतीयों से उन्होंने मुलाकात की।
सुषमा चुप और दूतावास बेअसर!
रूस्तम की मानें तो उन्होंने ट्विटर के जरिए सुषमा स्वराज के साथ ही वीके सिंह से भी मदद मांगने की कोशिश की। रूस्तम ने ट्वीट भी किया लेकिन उनकी बातों को अनसुना कर दिया गया।
रूस्तम के मुताबिक वह और उनके बाकी साथी दूतावास भी गए लेकिन वहां भी अधिकारियों ने उन्हें टाल दिया और न कोई जवाब दिया और न ही किसी तरह की मदद की पेशकश की।
सात बिल्डिंग्स में फंसे हैं भारतीय
रूस्तम और उनके साथियों को सोशल मीडिया और टीवी चैनलों से इस बात की जानकारी मिली थी कि वीके सिंह सऊदी अरब में पहुंचे हैं। उन्होंने जानकारी दी कि वह सऊदी ओजेर नामक कंपनी के कैंप में मौजूद भारतीयों से मिलने गए थे।
रूस्तम के कैंप का नाम कंपनी के नाम पर ही है यानी इनमा यूटिलिटीज और सात बिल्डिंग्स में वह और उनके साथी फिलहाल मौजूद हैं।
चंदा लेकर पहुंचे थे दूतावास
रूस्तम के साथ इस समय करीब 800 भारतीय फंसे हुए हैं। उन्होंने हमें जानकारी दी कि बड़ी मुश्किल से चंदा लेकर वह दूतावास तक पहुंचे थे लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा।
जिस जगह पर रूस्तम और उनके साथी फंसे हुए हैं वहां से दूतावास की दूरी करीब 30 किमी है। रूस्तम को इस बात का काफी अफसोस है कि भारत सरकार ने मदद सिर्फ चुनिंदा लोगों तक ही मदद सीमित रखी है।
सिर्फ एक टाइम खाना
जेद्दा में कर्नाटक के एनआरआई फोरम नामक संस्था की ओर से रूस्तम और उनके साथियों को खाना मुहैया कराया जा रहा है। रूस्तम बताते हैं कि खाना तीन से चार दिन तक चल सकता है और वे सभी लोग दिन में सिर्फ एक बार ही खाना खाने को मजबूर हैं।
रूस्तम के घर में उनके माता-पिता और एक बड़े भाई हैं। वह करीब एक वर्ष पहले छुट्टी खत्म कर जेद्दा वापस लौटे थे और छह माह से उन्हें सैलरी नहीं मिली है।
रूस्तम चाहते हैं कि सरकार उन्हें किसी भी तरह से भारत वापस लेकर आए ताकि वह फिर से अपने घरवालों के साथ रह सकें।