झारखंड में भाजपा के लिए सेंटा क्लॉज बनकर आये अमित शाह!
रांची।
आज
झारखंड
में
पहली
बार
पूर्ण
बहुमत
की
सरकार
बनने
जा
रही
है।
पिछले
14
सालों
में
अपने
विकास
के
लिए
तरस
रहा
यह
राज्य
शायद
पहली
बार
जनमत
के
जरिये
एक
स्थायी
सरकार
देखने
जा
रहा
है
और
उम्मीद
कर
रहा
है
कि
यह
सरकार
उसे
सफलता
और
विकास
का
अमली
जामा
पहनायेगी।
जितनी
बड़ी
जीत
यह
झारखंड
के
लिए
है
उससे
कहीं
ज्यादा
यह
बड़ी
जीत
बीजेपी
के
लिए
भी
है,
जिसने
अपना
कांग्रेसमुक्त
देश
के
सपने
को
साकार
करने
में
कोई
कसर
नहीं
छोड़ी
है।
पिछले
14
सालों
में
इस
राज्य
ने
9
मुख्यमंत्री
देखे
हैं।
एक
बार
तो
निर्दलीय
विधायक
मधु
कोड़ा
भी
सीएम
बन
गए।
इन
14
वर्ष
में
सबसे
ज्यादा
साढ़े
नौ
साल
तक
भाजपा
के
ही
मुख्यमंत्री
रहे
हैं
लेकिन
हर
बार
राज्य
की
जनता
अभावों
और
पिछड़ेपन
का
शिकार
रही
है।
14 सालों में झारखंड ने 9 मुख्यमंत्री देखे हैं
लेकिन शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि इस साल राज्य में वोट ना तो जाति पर ना ही वंशवाद पर पड़े हैं बल्कि यहां मतदाताओं ने विकास के लिए वोट किया है। अब जनता समझ चुकी है कि जाति और वंशवाद की राजनीति से कुछ नहीं होने वाला, दो वक्त की रोटी के लिए आपको विकास के मार्ग पर चलना ही होगा।
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और इसी बात को बीजेपी ने पूरी तरह समझकर चुनावों में गठजोड़ करके देश की जनता से वोट मांगे थे और वो उसमें सफल रही है। निश्चित रूप से यह पीएम मोदी के लोकप्रिय छवि का नतीजा है लेकिन इस लोकप्रिय इमेज फिल्म के डायरेक्टर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह हैं जिन्होंने चुनावी रैलियों में विकास और सिर्फ विकास का राग अलापते हुए ऐसी सियासी गोटियां बिछायीं जिसने जनता का मन मोह लिया और नतीजा आज आपके सामने हैं और क्रिसमस से ठीक पहले बीजेपी की झोलियों में अमित शाह ने एक सेंटा क्लाज की तरह खुशियां और खुशियां भर दी हैं।
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राजनैतिक पंडितों के मुताबिक यह अमित शाह का ही दिमाग था झारखंड में बीजेपी-आजसू साथ लड़ें, अमित शाह के ही आग्रह में राज्य सरकार के चुनावों के लिए पीएम मोदी की ताबड़तोड़ चुनावी रैलियां हुईं हैं और शाह ही का दिमाग था कि बीजेपी ने हरियाणा और महाराष्ट्र की तर्ज पर यहां चुनाव बिना किसी व्यक्ति को सीएम प्रोजेक्ट किये लड़ा है ताकि चुनावी नतीजे से पहले आदिवासी और गैरआदिवासी सीएम को लेकर झगड़ा ना हो। तो निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि बीजेपी के लिए झारखंड का सेंटा क्लाज और कोई नहीं अमित शाह ही हैं।
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