जब कलाम की बात करते-करते रो पड़े उनके जिगरी दोस्त महाबलेश्वर
बैंगलुरू। आज देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को हर कोई अपनी तरह से याद कर रहा है लेकिन दोस्त के बिछुड़ने का गम क्या होता है, यह कोई एचएएल बैंगलोर में काम करने वाले इंजीनियर महाबलेश्वर भट से पूछे।
एपीजे अब्दुल कलाम के सबसे जिगरी दोस्तों में से एक महाबलेश्वर भट ने मिसाइल मैन से जुड़ी अपनी खूबसूरत यादें वनइंडिया से बांटी। भट ने कहा कि कलाम उन लोगों में से थे जिनके लिए जात-पात, धर्म-जाति, ऊंच-नीच कोई मायने नहीं रखती थीं बल्कि वो सबको एक समान दृष्टि से देखते थे, उल्टा वो खुद चाहते थे कि देश इन जात-पात, धर्म-जाति की बेड़ियों से मुक्त हो जाये जिससे वो तरक्की को अग्रसर हो। वो मेरे साथ मंदिर जाते थे और गीता की बातें करते थे।
जानिए सबके लिए प्रेरणाश्रोत कलाम को किससे मिली थी प्रेरणा?
अपने कॉलेज के दिनों की बातें याद करते हुए भट ने कहा कि कलाम एक बहुत ही मेहनती छात्र थे, वो हर चीज को मेहनत के दम पर हासिल करना चाहते थे, वो ऊंची सोच के मालिक थे, उनके लिए रिश्ते बहुत मायने रखते थे इसलिए तो देश की इतनी ऊंची गद्दी पर बैठने के बावजूद कलाम मुझे एक पल भी नहीं भूले, वो जब भी बैंगलुरू आते थे तो मुझसे मिले बिना कभी नहीं जाते थे।
'कलाम' कभी नहीं मर सकते क्योंकि हर कलमे में हैं 'कलाम'...
आपको बता दें कि चेन्नई इंजीनियरिंग कालेज में जब दोनों पढ़ते थे तो पहले साल में दोनों रूम मेट थे लेकिन जब दोनों सेंकड ईयर में आये तो दोनों के रूम अलग-अलग हो गये लेकिन कलाम ने कमरा छोड़ा था भट को नहीं, इसलिए वो बिना नागा किये रोज उनके साथ लंबी वॉक पर जाते थे और यह वॉक तब तक चलती रही जब तक दोनों कॉलेज में पढ़े।
कलाम की बात करते-करते रो पड़े दोस्त भट
लोगों की तरह भट भी कलाम के निधन के दुखी और सदमे में हैं , क्योंकि मात्र 10 दिन पहले ही कलाम और भट की मुलाकात हुई थी। जिसके बारे में बात करते हुए भट एकदम से भावुक हो गये और छलकती आंखों से बोले कि मैं मात्र दस दिन पहले ही उनसे मिला था तब सोचा नहीं था यह मेरी उनकी अंतिम मुलाकात होगी, उस समय उनका स्वास्थ्य पूरी तरह से सही था। आज मैंने अपना साथी, अपना हमदर्द, हमराज खो दिया है, वाकई में उनका जाना अपूर्णनीय क्षति है, जिसकी पूर्ति कोई नहीं कर सकता।