धमकी के बाद अब चीन को अपनी भाषा में समझाएगा भारत का 'जेम्स बॉन्ड'
नई दिल्ली। चीन को अब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अपनी भाषा में समझाएंगे। वो अन्य देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में हिस्सा लेंगे। जहां चीनी समकक्ष से उनकी मुलाकात होगी।
अजीत डोवाल की 26 जुलाई की यात्रा के बाद भारत और चीन के बीच तनाव कम होने की उम्मीद है। NSA डोवाल, ब्रिक्स-ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में हिस्सा लेंगे।
डोवाल करेंगे बात
यात्रा के दौरान, डोवाल इस मुद्दे को चीन में अपने समकक्ष के साथ उठाएंगे और सिक्किम के डोकलाम क्षेत्र में समस्या को हल करने के बारे में बात करेंगे। भारत ने चीन पर डोकलाम पठार के विवादित क्षेत्र में एक सड़क बनाने का आरोप लगाया है। यही आरोप रॉयल भूटानी सेना ने भी चीन पर लगाया था।
हम नहीं करेंगे समझौता
दिल्ली में शीर्ष अधिकारियों का कहना है कि भारत इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगा और समाधान के लिए प्रयास करेगा। एक अधिकारी ने कहा कि हमारी बात बहुत स्पष्ट है और हम निर्माण का विरोध करते हैं। चीन को किसी युद्ध के लिए भड़काने के मसले पर हमारी कोई भूमिका नहीं है। डोवाल इन बिंदुओं को अपने चीनी समकक्ष के समक्ष उठाएंगे , लेकिन इस मामले पर भारत की स्थिति भी स्पष्ट कर देंगे।
यहां है विवाद
भारत ने भूटान के रुख के समर्थन के लिए इस समस्या में हस्तक्षेप किया और निर्माण कार्य को रोकने के लिए चीन से कहा। दूसरी तरफ चीन ने डोकलाम पठार का दावा किया है। एक 89 वर्ग किमी चरागाह भारत-भूटान-चीन त्रिकोणीय जंक्शन के कोने पर चुंबी घाटी के करीब है और सिक्किम सेक्टर से बहुत दूर नहीं है।
तब ड्रैगन ने कहा था...
2012 में चीन ने भारत से कहा था कि वो दो बंकरों को हटा दें जो डोकलाम पठार में लल्टन में स्थापित किए गए थे। भारत ने दो बंकरों को बैकअप विकल्प के रूप में स्थान दिया था। हालांकि 6 जून को चीन ने दो बंकरों को नष्ट कर दिए जाने के बाद दावा किया कि ना तो भारत या चीन के पास इस क्षेत्र पर कोई अधिकार था।
भूटान से जुड़ा है मामला
बता दें कि जिस डोकलाम में सड़क बनाने को लेकर यह विवाद सामने आया है, उसका भारत से कोई सीधा संबंध नहीं है। यह मामला सीधा भूटान और चीन का है। बता दें कि डोकलाम को भूटान अपना मानता है और चीन उस पर दावा जताता है।
जब तक पीछे नहीं हटेगी सेना
इस मामले में चीन का कहना है कि जब तक भारतीय सेना पीछे नहीं हटेगी, तब तक बातचीत का कोई सवाल नहीं उठता है। जहां एक ओर चीनी मीडिया की तरफ से युद्ध के विकल्प की बात की गई है, वहीं दूसरी ओर भारत में चीन के राजदूत लू झाओहुई ने कहा है कि यह भारत पर निर्भर करेगा कि सैन्य विकल्प का इस्तेमाल होगा या फिर नहीं।
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