राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड्स के लिए 6 फीट जरूरी है लंबाई, जानिए कुछ और रोचक फैक्ट्स
नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद ने इस बार बड़ी जीत दर्ज की है। एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को 66 फीसदी वोट मिले हैं, वहीं यूपीए की उम्मीदवार मीरा कुमार के पक्ष में 34 फीसदी वोट पड़े हैं। इस जीत के बाद नवनिर्वाचित राष्ट्रपति देश की सेनाओं के सुप्रीम कमांडर तो होंगे ही साथ ही इन्हीं सेनाओं की सुरक्षा के साए में भी रहेंगे।
राष्ट्रपति भवन से संसद भवन के बीच करीब 20 मिनट का रास्ता राष्ट्रपति ने स्पेशल बॉडीगार्ड्स के साथ तय करते हैं। राष्ट्रपति की सुरक्षा, देश में बाकी लोगों को मिली सुरक्षा से काफी अलग होती है और खास भी। राष्ट्रपति का बॉडीगार्ड बनना भी सैनिकों के लिए किसी सम्मान से कम नहीं होता है। आइए राष्ट्रपति चुनाव के मौके पर आपको भारतीय राष्ट्रपति की सुरक्षा के बंदोबस्त और उनके 'बॉड्गार्डस' से जुड़ी कुछ खास खूबियों के बारे में बताते हैं।
छह फिट होनी चाहिए लंबाई
राष्ट्रपति की सुरक्षा में जो सैनिक या अफसर तैनात होते हैं उनकी लंबाई काफी मायने रखती है। अगर उनकी लंबाई छह फीट नहीं है तो फिर उन्हें मंजूरी नहीं मिलती। स्वतंत्रता से पहले यह योग्यता छह फीट तीन इंच थी।
राष्ट्रपति भवन बेस्ड यूनिट
राष्ट्रपति देश की तीनों सेनाओं आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के प्रमुख होते हैं। उनकी सुरक्षा में जो सुरक्षाकर्मी तैनात होते हैं उन्हें प्रेसीडेंट्स बॉडीगार्ड्स यानी पीबीजी कहते हैं। यह भारतीय सेना की घुड़सवार रेजीमेंट का हिस्सा होती है। साथ ही यह सेना की सर्वोच्च यूनिट होती है। इसका प्राथमिक रोल राष्ट्रपति की सुरक्षा करना और हर पल उनके साथ चलना है। यह यूनिट राष्ट्रपति भवन में बेस्ड होती है।
वॉरेन हेस्टिंग्स ने किया गठन
भारत में पहली बॉडीगार्ड यूनिट सन 1773 में उस समय तैयार की गई थी जब देश में यूरोपियन ट्रूप्स को र्इस्ट इंडिया कंपनी बतौर पैदल सेना भर्ती किया गया था। उस समय वॉरेन हेस्टिंग्स गर्वनर जनरल थे और उन्होंने ही सितंबर 1773 में इसका गठन किया था।
हेस्टिंग्स ने चुने थे ट्रूप्स
हेस्टिंग्स ने मुगल हाउस से 50 ट्रूप्स को इसके लिए चुना था। इसके बाद सन 1760 में सरदार मिर्जा शानबाज खान और खान तार बेग ने इसे आगे बढ़ाया।
राजा चैत सिंह ने सैनिकों की संख्या की 100
इसके बाद बनारस के राजा चैत सिंह ने इसमें 50 और ट्रूप्स को जगह दी और इसके बाद यूनिट की ताकत 100 सैनिकों की हो गई थी।
ईस्ट इंडिया कंपनी में कैप्टन
राष्ट्रपति की बॉडीगार्ड यूनिट का पहला कमांडर ब्रिटिश था और उनका नाम था कैप्टन स्वीनी टून। स्वीनी ईस्ट इंडिया कंपनी के सम्मानित सैनिक थे। उनके अलावा उनके साथ बतौर जूनियर लेफ्टिनेंट सैम्युल ब्लैक थे।
कैप्टन से लेकर पैराट्रूपर्स तक
राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात बॉडीगार्ड्स की पुरानी यूनिट में एक कैप्टन, एक लेफ्टिनेंट, चार सार्जेंट्स, छह दाफादार, 100 पैराट्रूर्प्स, दो ट्रंपटर्स और एक बग्घी चालक होता था।
जाट सिख और राजपूतों से सजी सुरक्षा
वर्तमान समय में राष्ट्रपति की सुरक्षा में जो बॉडीगार्ड्स तैनात होते हैं उनमें सेना की जाट, सिख और राजपूतों को प्राथमिकता दी जाती है। यह सैनिक हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से आते हैं।