कहीं आप को तो नहीं ब्लू लाइट के ओवरडोज की बीमारी?
जहां एक ओर इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल करते बल्ब, ट्यूबलाइट और एंटरटेनमेंट डिवाइस हमारे जीवन को आसान बना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गैजेट्स से निकलने वाली ब्लू लाइट हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रही है।
नई दिल्ली। पिछले कुछ सालों में तकनीक और इस तकनीक से निकलने वाली लाइट हमारे रोजाना के जीवन का एक हिस्सा बन गए हैं। जहां एक ओर इलेक्ट्रिसिटी का इस्तेमाल करते बल्ब, ट्यूबलाइट और एंटरटेनमेंट डिवाइस हमारे जीवन को आसान बना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गैजेट्स से निकलने वाली ब्लू लाइट हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रही है। आइए जानते हैं कैसे गैजेट्स से निकली ब्लू लाइट स्वास्थ्य के लिए है हानिकारक।
क्या
है
ब्लू
लाइट?
लाइट
स्पेक्ट्रम
में
अल्ट्रावाइलेट,
इंफ्रारेड
और
विजिबल
किरणें
होती
हैं।
ब्लू
लाइट
इन
विजिबल
किरणों
का
ही
एक
हिस्सा
है।
साथ
ही,
इसकी
एनर्जी
वेव
लेंथ
सबसे
अधिक
होती
है।
इसमें से कुछ ही है हमें जरूरत
ब्लू लाइट की हमारे शरीर को भी जरूरत होती है। सूरज की रोशनी से हम रोजाना इसका कुछ हिस्सा ग्रहण करते हैं। यह लाइट हमें अलर्ट रहने में मदद करती है। साथ ही यह हमारे दिमाग के लिए भी फायदे मंद है और मूड भी अच्छा बनाए रखने में मदद करती है। साइकोलोजिस्ट अपने मरीजों को सन थेरेपी (सूरज की लाइट लेने) की भी सलाह इसी कारण देते हैं, ताकि मरीज को ब्लू लाइट के फायदे मिल सकें।
आर्टीफीशियल ब्लू लाइट है खतरनाक
जहां एक ओर हम काफी अधिक समय सूरज से मिलने वाली ब्लू लाइट के संपर्क में रहते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से निकलने वाली ब्लू लाइट हमारे लिए खतरनाक है। मणिपाल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एटॉमिक एंड मॉलिक्यूलर फिजिक्स के विभाग के हेड डॉक्टर संतोष चिदंगिल कहते हैं- मौजूदा समय में व्यक्ति बहुत सी ऐसी चीजों के संपर्क में आता है, जिससे ब्लू लाइट निकलती है, जैसे एलईडी, सीएफएल, टैबलेट, टेलीविजन और कंप्यूटर। ऐसे में यह साफ है कि लोगों की जिंदगी में लगातार ब्लू लाइट बढ़ती जा रही है, जिसकी वजह से रेटिना को नुकसान पहुंच सकता है और व्यक्ति के आंखों की रोशनी पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।
बहुत अंदर तक जा सकती है ब्लू लाइट
डॉक्टर चिदंगिल के अनुसार स्पेक्ट्रम की विजिबल किरणें आखों के लिए खतरनाक होती हैं। यह तो सभी जानते हैं कि अल्ट्रावाइलेट किरणें आंखों और त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं। यह किरणें आखों के सामने वाले हिस्से तक पहुंच सकती हैं और मोतियाबिंद का कारण बन सकती हैं। वहीं दूसरी ओर, ब्लू लाइट आंखों में अंदर तक जा सकती है और आंखों के पिछले हिस्से को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे रेटिना को भी नुकसान पहुंच सकता है।
ये भी हैं नुकसान
ब्लू लाइट से सिर्फ आंखों को ही नुकसान नहीं होता है, बल्कि अगर ब्लू लाइट के संपर्क में बहुत अधिक रहा जाए तो इससे और भी नुकसान हो सकते हैं। चिदंगिल के अनुसार, रिसर्च से पता चला है कि ब्लू लाइट व्यक्तियों के हार्मोन्स, दिल की धड़कन, सोने में अनियमितता, शरीर के तापमान पर भी असर डाल सकती है।
अल्ट्रावाइलेट किरणों से बचें
बेंगलुरु में आंखों के अस्पताल 'शंकर अस्पताल' के लिए एक सलाहकार की तरह काम करने वाले डॉक्टर राजेश आर ने कहा है कि ब्लू लाइट के अलावा एक व्यक्ति को अल्ट्रावाइलेट किरणों से भी बचकर रहना चाहिए, क्योंकि इससे भी आंखों को काफी अधिक नुकसान होता है। इससे कॉर्निया, लेंस और रेटिना पर काफी बुरा असर पड़ता है। इससे मोतियाबिंद भी हो सकता है।
खुद की रक्षा करें
मौजूदा समय में खुद को ऐसे डिवाइस से दूर रखना थोड़ा मुश्किल है, जिनसे ब्लू लाइट निकलती है, क्योंकि हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में इनकी जरूरत होती है। हालांकि, हम ऐसे डिवाइस के इस्तेमाल को कम कर सकते हैं या उन्हें ऐसे इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे खुद को ब्लू लाइट से बचाया जा सके। हैदराबाद की एक जनरल फिजिशियन जानकी चोपड़ा का कहना है कि कई ऐसे ऐप्स भी हैं, जो ब्लू लाइट को हटाने का काम करते हैं, उनका इस्तेमाल भी किया जा सकता है। साथ ही, सोने से करीब 2 घंटे पहले इन सभी डिवाइस से दूर रहने की भी सलाह है।
इन तरीकों से ब्लू लाइट से बचें
-
बार-बार
मोबाइल
या
अन्य
डिवाइस
को
चेक
करने
की
आदत
बदलें।
-
सोने
से
कम
से
कम
1
घंटा
और
हो
सके
तो
2
घंटे
पहले
कोई
भी
डिवाइस
इस्तेमाल
न
करें।
-
सोते
समय
अपने
मोबाइल
को
बेड
से
दूर
रखें,
इससे
बार-बार
मोबाइल
चेक
करने
की
आदत
कम
होगी।
-
टीवी
या
लैपटॉप
पर
कोई
फिल्म
आदि
देखने
से
अच्छा
है
कि
कुछ
देर
कोई
किताब
या
कुछ
और
पढ़ें।
-
टेलीविजन,
लैपटॉप
आदि
को
बेडरूम
से
बाहर
रखें।
-
अपने
मोबाइल
की
ब्राइटनेस
को
कम
से
कम
रखें।
-
कमरे
में
सोते
समय
लाल
रंग
की
लाइट
का
इस्तेमाल
करें।
-
ब्लू
लाइट
से
बचाने
वाले
ऐप
मोबाइल
में
इंस्टॉल
करें।
-
अगर
आप
बहुत
देर
तक
लैपटॉप
आदि
पर
काम
करते
हैं
तो
अधिकतम
20
मिनट
बाद
लैपटॉप
से
ध्यान
हटाएं
और
करीब
20
फुट
दूर
रखी
किसी
चीज
को
करीब
20
सेकेंड
तक
देखें
और
फिर
अपना
काम
शुरू
करें।