रविशंकर बोले अधिकार क्षेत्र की बात, जजों के कुकृत्यों को रोकने वाले बिल पर रस्सा-कस्सी
नई दिल्ली। न्यायिक प्रणाली में सुधार और न्यायधीशों के कुकृत्यों को रोकने के लिए जिस बिल को लाने के प्रयास किए जा रहे हैं उस पर राजनीति छिड़ी है। कोई पार्टी बिल का विरोध ही कर रही है तो कोई समर्थन तो कोई बिल के प्रावधानों से खुश नहीं है। लेकिन इस बिल पर सही मचे घमासान पर राजनीतिक पार्टियां केवल राजनीति कर रही हैं। पिछले कुछ वर्षों से न्यायिक प्रणाली में फैल रहे भ्रष्टाचार और काले कारनामों पर बहस चल रही है। इस बीच ऐसे मामले आए हैं जिसमें कई जजों पर महिलाओं को यौन शोषण किया है। ऐसे आरोप लगे हैं।
आपको बता दें कि जजों की नियुक्ति में कोई भ्रष्टाचार या योग्यता के साथ कोई समझौता न हो इसके लिए बनी व्यवस्था कोलिजियम को बदलाव करने पर विचार चल रहा है। जिस पर खुद मुख्य न्यायधीश ने भी नाराजगी जताई है। हैरानी तब है कि दूषित होती न्यायिक प्रणाली को देखने के बावजूद मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा ने कहा कि कोलिजियम प्रणाली में कोई खामी नहीं है। इसको बदलने की जरूरत नहीं है। जिसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या न्यायाधीशों की जवाबदेही नहीं होनी चाहिए?
खबर है कि कई विपक्षी पार्टियां इस पर विरोध कर रही हैं लेकिन हो सकता है कि कांग्रेस इस बिल का समर्थन करे। जिसके बाद इस बिल को पास कराना काफी आसानी हो सकता है। इस समय कांग्रेस के पास 44 सांसद हैं और भाजपा के पास 272 सांसदीय सीट हैं। इतनी बड़ी संख्या का समर्थन मिलने के बाद यह संभव है कि बिल को पास करा लिया जाए।
रविशंकर बोले
भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि न्यायायपालिका के अधिकार क्षेत्र में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। न्यायपालिका अपने आप में स्वतंत्र है।