डिजिटल इंडिया-कचरों के ढेर का करेंगे क्या
नई दिल्ली। डिजिटल इंडिया प्रोग्राम भारत और पूरी दुनिया को 'एक साइबर हाउस' में समाने का सराहनीय अभियान है। ये जटिलताओं को सरलताओं में बदलने की कोशिश है। बाधाओं को पारदर्शी बनाने का प्रयास है।
जाहिर है इससे गतिविधियां आसान होंगीं और कम समय में सबका व्यवसाय बढ़ेगा लेकिन 'हैंग' होने की सूरत में क्या होगा, साथ-साथ इसका भी विकल्प सोच लिया जाना चाहिए।
'हैंगीकरण' से बचाव
जैसे कि साफ-सफाई तो ठीक है लेकिन कचरों के ढेर का करेंगे क्या-ये नहीं साफ हुआ। उसका निस्तारण या सदुपयोग कहां और कैसे करेंगे? इसीलिए 'डिजिटलीकरण' के साथ-साथ 'हैंगीकरण' से बचने का भी तरीका सोचा जाना चाहिए।
जानिए क्या-क्या होगा डिजिटल इंडिया वीक में
रक्तहीन जंग
बहरहाल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को साइबर संबंधी जोखिमों को रक्तहीन युद्ध का वैश्विक खतरा बताया और देश के आईटी समुदाय का आह्वान किया कि वह विश्वसनीय साइबर सुरक्षा प्रणाली बनाकर पूरे विश्व की सेवा करे। नरेन्द्र मोदी डिजिटल इंडिया सप्ताह के शुभारंभ समारोह में बोल रहे थे।
बढ़े उत्पादन
प्रधानमंत्री ने भारतीय आईटी उद्योग नेतृत्व से ‘मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के हिस्से के रूप में तथा आयात पर निर्भरता कम करने के लिए इलेक्ट्रोनिक उपकरणों तथा सामग्रियों का उत्पादन बढ़ाने को कहा।
प्रधानमंत्री ने कहा "मैं एक डिजिटल भारत का सपना देखता हूं, जहां ऊंच गति के डिजिटल हाईवे देश को जोड़े, टेक्नोलॉजी यह सुनिश्चित करे कि नागरिक- सरकार संवाद भ्रष्ट न हो पाए।