धर्मशाला बनी हिमाचल की दूसरी राजधानी, जानें इससे जुड़ी खास बातें
धर्मशाला को हिमाचल प्रदेश की शीतकालिन राजधानी बनाया गया है। दलाईलामा के इस अस्थाई निवास वाले शहर को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने विशेष दर्जा दिया है।
शिमला। हिमाचल प्रदेश के प्रमुख शहरों में शामिल धर्मशाला को प्रदेश की दूसरी राजधानी बनाने का फैसला किया गया है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने धर्मशाला को हिमाचल प्रदेश की शीतकालिन राजधानी बनाने का फैसला किया है। धर्मशाला के इतिहास की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह प्रदेश की दूसरी राजधानी होने का हकदार था। इसी के चलते उन्होंने इसे प्रदेश की दूसरी राजधानी का दर्जा प्रदान किया है।
हिमाचल की दो राजधानी
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के फैसले के बाद हिमाचल प्रदेश ऐसा दूसरा प्रदेश बन गया है, जिसकी दो राजधानी है। इससे पहले जम्मू कश्मीर अकेला ऐसा राज्य था, जिसकी दो राजधानियां हैं। उन्होंने कहा कि धर्मशाला ऐसा शहर है जो अपने राजनीतिक, धार्मिक, प्रकृतिक और साहसिक कारणों से पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा है। धर्मशाला को राजधानी बनाने से कांगड़ा-चंबा-हमीरपुर और ऊना जैसे निचले इलाके को विशेष फायदा होगा।
दलाईलामा का अस्थाई निवास
तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरू दलाईलामा का अस्थायी निवास स्थान भी धर्मशाला में ही हैं, जिसके वजह से इस शहर में विश्वभर से लोगों का आना-जाना लगा रहा है। 1960 में दलाई लामा ने धर्मशाला को अपना मुख्यालय बनाया था और वहां से तिब्बत की निर्वासित सरकार चला रहे हैं। इस वजह से दुनियाभर के प्रतिष्ठित लोग यहां आते-जाते रहते हैं।
बहुत पहले से राजधानी बनाने की हो रही है कोशिश
धर्मशाला को राजधानी बनाने के लिए आज से नहीं बल्कि काफी लंबे वक्त से कोशिश की जा रही है। इसकी शुरुआत 155 साल पहले शुरू हुई थी, जब ब्रिटिश शासनकाल में गवर्नर जनरल लॉर्ड एल्गिन 1852 में धर्मशाला आए थे।उस समय इसे ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का प्रस्ताव दिया गया था। लेकिन उनके इस प्रस्ताव को नहीं माना गया और शिमला को राजधानी बना दी गई।