यूपी चुनाव 2017- जातीय मुद्दों में दब गए विकास के मुद्दे
यूपी के सियासी दल चुनावी दंगल में बहुमत हासिल करने के लिए जातीय समीकरण को साधने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चुनाव के ऐलान के साथ ही तमाम राजनीतिक दल प्रदेश के विकास से इस इतर उन तमाम मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं जिनसे जनता का सरोकार नहीं है। सियासी दल चुनावी दंगल में बहुमत हासिल करने के लिए जातीय समीकरण को साधने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। एक तरफ जहां बसपा सुप्रीमो ने इस बार प्रदेश में पहली बार 97 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट बाटें हैं तो दूसरी तरफ भारती जनता पार्टी दलित वोटों को साधने के लिए ना सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष की कमान दलित उम्मीदवार को दी है बल्कि तमाम दलित उम्मीदवारों को भी प्राथमिकता दे रही है।
गाजियाबाद में सिर्फ जाति को प्राथमिकता
विकास के कामों को दरकिनार कर जिस तरह से सियासी दल तमाम जातीय समीकरणों को प्राथमिकता दे रहे हैं उसने प्रदेश की राजनीति को एक बार फिर से लोगों के सामने लाकर रख दिया है। प्रत्याशियों का चयन उनकी दक्षता से इतर इस बात पर निर्भर कर रहा है कि वह किस जाति से संबंध रखते हैं। सपा सरकार के दौरान गाजियाबाद में विकास के काफी काम हुए लेकिन पार्टी के उन उम्मीदवारों की बात नहीं हो रही है जिन्होंने विकास के इन कामों को अपनी प्राथमिकता दी। वहीं मोदीनगर में भी विकास के कामों को दरकिनार करते हुए मुस्लिम बाहुल्यता के आधार पर टिकटों का वितरण हो रहा है। बसपा ने अपने मुरादनगर के विधायक वहाब चौधरी को मोदीनगर सिर्फ इसलिए भेजा है क्योंकि वह मुस्लिम उम्मीदवार हैं और मुरादनगर में जाटों का बाहुल्य है।
काम नहीं जाति पर मिला टिकट
मुरादनगर
से
सपा
ने
दिशांत
त्यागी
तो
बसपा
ने
जाट
समुदाय
के
सुधन
रावत
को
टिकट
दिया
है
जबकि
इससे
पहले
यहां
चौधरी
प्रेम
प्रमुख
और
राजपाल
विधायक
रह
चुके
हैं
जोकि
जाट
समुदाय
से
आते
हैं,
इसी
बात
को
ध्यान
में
रखते
हुए
दोनों
पार्टियों
ने
जाट
उम्मीदवारों
को
यहां
से
टिकट
दिया
है।
वहीं
अगर
गाजियाबाद
पर
नजर
डालें
तो
यहां
ब्राह्मण
और
वैश्य
जाति
बाहुल्य
में
है
और
यहा
से
बसपा
के
सुरेश
बंसल
विधायक
हैं
जिन्हे
एक
बार
फिर
से
पार्टी
ने
टिकट
दिया
है
जबकि
भाजपा
ने
तमाम
वैश्य
उम्मीदवारों
को
यहां
से
उतारा
है।
यूपी
के
लोनी
में
भी
मुस्लिम
व
गुर्जर
जाति
की
आबादी
काफी
अधिक
है
और
यहां
से
बसपा
ने
जाकिर
अली
को
उम्मीदवार
के
तौर
पर
उतारा
है
जबकि
सपा
ने
यहां
से
गुर्जर
जाति
के
इश्वर
मावी
को
टिकट
दिया
है।
जबकि
दूसरी
लिस्ट
में
साहिबाबाद
के
राशिद
अली
को
यहां
से
टिकट
दिया
गया
है।
वहीं
भाजपा
में
इस
सीट
पर
छह
लोगों
का
नाम
सामने
आया
है,
माना
जा
रहा
है
कि
इस
सीट
पर
सबी
गुर्जर
उम्मीदवारों
को
ही
प्राथमिकता
दी
जाएगी।
राजनीतिक
जानकारों
की
मानें
तो
अगर
काम
और
ईमानदारी
को
मुद्दा
बनाया
गया
तो
सपा
गाजियाबाद
में
पहले
नंबर
आएगी
क्योंकि
यहां
सपा
के
पांच
में
से
एक
भी
सीट
हासिल
नहीं
हुई
लेकिन
पार्टी
ने
यहां
विकास
को
प्राथमिकता
दी
और
यहां
जमकर
विकास
के
काम
किए
गए
हैं।
इन कामों की नहीं हुई चर्चा
गाजियाबाद में मेट्रो को लाने के लिए प्रदेश सरकार ने कभी भी फंड की कमी नहीं आने दी और यहां से लिंक रोड, मेरठ रोड, व मोहन रोड पर लगने वाले जाम को खत्म करने का भी काफी अहम काम किया। इसके लिए सरकार ने यूपी गेट से राजनगर एक्सटेंशन का काम काफी तेजी से करवाया। यही नहीं हिंडन पर तीसरा पुल, कविनगर-नेहरुनगर को जोड़ने वाला आरओबी, बिजली की व्यवस्था को दुरुस्त करने जैसे काम किए गए लेकिन बावजूद इसके यहां उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा की जा रही है नाकि विकास के कामों की ।