आखिर क्यों विदाई समारोह से जाने के बाद डेरेक ओ ब्रायन को खानी पड़ी फिश करी
उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के विदाई समारोह कार्यक्रम के बारे में ट्वीट करके डेरेक ओ ब्रायन ने खड़ा किया विवाद, बोले सिर्फ वेज खाना परोसा गया, घर जाकर खाउंगा फिश करी
नई दिल्ली। देश के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के विदाई समारोह के कार्यक्रम के बाद जिस तरह से टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया है उसके बाद यह कार्यक्रम चर्चा में आ गया है। दरअसल लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के लिए विदाई समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसेमें तमाम सांसद और मंत्रियों ने हिस्सा लिया था, लेकिन इस समारोह में मेन्यू कार्ड को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है।
सिर्फ वेज खाना परोसा गया
सुमित्रा महाजन की ओर से इस कार्यक्रम में खास डिनर का आयोजन किया गया था, लेकिन इस डिनर में सिर्फ वेज खाना ही परोसा गया था। जिसके बाद टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट करके कहा कि लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन की ओर से उपराष्ट्रपति का विदाई समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें कई मंत्री और सांसद आए, लेकिन यहां सिर्फ वेज खाना परोसा गया, अब घर जाकर फिश करी खाउंगा।
पीएम मोदी ने भी की शिरकत
उपराष्ट्रपति के विदाई समारहो में विपक्षी दलों के भी तमाम नेता मौजूद थे, उनके साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत की। हालांकि इस कार्यक्रम के बारे में कुछ खास जानकारी नहीं हासिल हो सकी है, लेकिन इस बात की पुष्टि डेरेक ओ ब्रायन की ओर से इस बात की पुष्टि की गई है कि यहां सिर्फ वेज खाना परोसा गया और सभी ने वेज खाने का ही लुत्फ लिया।
नायडू और गांधी हैं आमने-सामने
आपको बता दें कि उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल खत्म हो रहा है, 5 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद का चुनाव होना है। एक तरफ जहां विपक्ष की ओर से इस पद के लिए गोपालकृष्ण गांदी को उम्मीदवार बनाया गया है तो दूसरी तरफ एनडीए ने वेंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। दोनों ही नेता अपने समर्थन के लिए तमाम दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।
बतौर राज्यपाल अनुभवों को किया साझा
विपक्ष के उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी ने गत गुरुवार को टीएमसी के कार्यालय में पार्टी के सांसदों से मुलाकात की थी और उन्हें अपने उद्देश्य के बारे में बताया कि आखिर क्यों वह उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ रहे हैं। इसके अलावा इस दौरान गांधी ने अपने उन अनुभवों को भी इन सांसदों के साथ साझा किया जिस दौरान वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे।